श्री द्वारिकाधीश जी मंदिर(shri Dwarkadheesh temple Mathura )
यमुना नदी के किनारे पर श्री द्वारकाधीश मन्दिर स्थित है। जिसकी भव्यता अपने आप में बहुत कुछ कहती है। ये एक राजा का दरबार है जिसे सभी द्वारकाधीश के नाम से जनता है श्री कृष्णा जी का न्याय दरबार। एक बार मन्दिर देख लेने पर मन्दिर से नजर ही नहीं हटती है। मन्दिर मैं सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते ही भगवन श्री राजा अधिराज द्वारकाधीश जी महाराज के दर्शन होते है। जिनके दर्शन करते ही मन मैं अपने आप भक्ति जागने लगती है।
ऐसा लगता है जैसे भगवन श्री कृष्णा के (सकचत) दर्शन हो रहे हो। श्री द्वारकाधीश जी के अतियन्त सुन्दर बिग्रह के बाये श्री रूखमणी जी बिराज मान है। श्री राजा अधिराज के आसपास लडुगोपाल और श्री राधा कृष्णा के अन्य बिग्रह बिराजमान है। श्री द्वारकाधीश मंदिर मैं श्री भगवन श्री कृष्णा के और भी मंदिर है। मंदिर मैं भगवन श्री सलेगिराम और श्री गरिराज महाराज के मंदिर भी है।
श्री राजा अधिराज जी के छत और दीवारो पर सुन्दर चित्रो के दुआरा श्री राजा अधिराज के अन्य रूपों को दर्शाया गया है।
और भगवान श्री कृष्णा की अनेको लीलाओं का चित्रण किया गया है। जिन्हे देख कर ऐसा लगता है जैसे हम द्वापरयुग मैं ही आ गये हो।
द्वारकाधीश जी की परिकर्मा आप आराम से लगा सकते है
द्वारकाधीश के बारे में :-
कभी एक समय वो भी था जब श्री कृष्णा जी का दरबार लगता है था यही वो विराजमान होते थे और सभी प्रजा और भक्तो की परेशानियों को सुनते थे उनकी समस्या का समाधान निकलते थे। जहा सब दूर दूर से आते थे और संतुष्ट हो करके जाते थे। श्री द्वारकधीश जी के इस विगृह को कभी भी ऐसा न समझे की वो है या नहीं वो है और आज भी भक्तो की सुनते है। आपकी हर सच्ची प्रार्थना को वो जरूर सुनते है बस दिलसे कहिये उनको।
मंदिर की समय सारिणी :-
ग्रीष्मकाल:
मंगला आरती प्रातःकाल : 6:30 प्रातः से 7:00 प्रातः
श्रृंगार आरती प्रातःकाल : 7:30 प्रातः से 7:55 प्रातः
ग्वाल आरती प्रातःकाल : 8:25 प्रातः से 8:40 प्रातः
राज भोग आरती प्रातःकाल : 10:00 प्रातः से 10:30 प्रातः