“कृष्ण प्रेम” के नाम से रोनाल्डो हेनरी निक्सन क्यों जाने जाते है
“कृष्ण प्रेम” रोनाल्डो हेनरी निक्सन
रोनाल्ड निक्सन का पूरा नाम रोनाल्डो हेनरी निक्सन था। यह अंग्रेज थे लेकिन आज लोग इन्हें “कृष्ण प्रेम”(krishna prem) के नाम से जानते हैं यह इंग्लैंड से थे 18 वर्ष की उम्र में प्रथम जर्मनी युद्ध में श्री रोनाल्ड निक्सन ने उत्साह पूर्वक भाग लिया वह उस युद्ध में हवाई डेरे में एक ऊंचे अफसर थे युद्ध का उन्माद उत्तर जाने पर उनके हृदय में भयंकर घटना अपनी आंखें से देखी थी।
वो बांके बिहारी मिलते हैं बांके बिहारी दिखते हैं लेकिन जब तब हमारी मिलने की इच्छा हो और देखने की लालसा हो
हत्या मारकाट मृत्यु का तांडव रक्तचाप और लोगों का शोर इन सब उनकी शांति हरण कर ली थी उनकी शांति को छीन लिया था। सभी घटनाओं के बारे में उन्होंने लिखा कि मानव विकास की उस दृश्य ने उनके हृदय में भयंकर उत्तल पुथल मचा दी है बहुत कोशिश करने पर भी उनकी मन की स्थिति शांत नहीं हो पा रही थी मानसिक व्यग्रता ने उन्हें बहुत ही तोड़कर रख दिया था इनके मन को कहीं भी शांति नहीं मिली फिर वह एक दिन कैंब्रिज विश्वविद्यालय जा पहुंचे।
रोनाल्डो हेनरी निक्सन भारत क्यों आये ?-
जहां इनका परिचय वेदांत ईश्वर ज्ञान और महात्मा बुद्ध के बारे में हुआ और ईश्वर प्राप्ति की खोज में भारत आ गए भगवान की खोज में भारत की तरफ से श्री कृष्ण(shri krishna) प्रेरणा से ब्रज में आकर बस गए। पर उनका कृष्ण से इतना गहरा प्रेम(prem) था कि वह कन्हैया को कृष्ण को अपना छोटा भाई मानने लगे थे एक दिन उन्होंने हलवा बनाकर कृष्ण जी को भोग लगाया पर्दा हटा कर देखा तो हलवा में छोटी छोटी उंगली के निशान थे जिसे देख निक्शन की आंखों से अश्रुधारा बहने लगे क्योंकि इससे पहले वह कई बार भोग लगा चुके थे पर पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था
रोनाल्डो हेनरी निक्सन का भाव /अनुभव:-
एक दिन ऐसी घटना घटी कि सर्दियों का समय था निक्सन कुटिया के बाहर सोते थे इनका प्रतिदिन का नियम था कृष्णा जी को अंदर विधिवत सुलाकर रजाई ओढ़ाकर फिर खुद सोते थे। 1 दिन की बात है निक्सन सो रहे थे मध्यरात्रि को अचानक उनको ऐसा लगा जैसे किसी ने उन्हें आवाज दी हो दादा हो दादा इन्होंने जब उठकर देखा तो कोई नहीं दिखा सोचने लगे हो सकता है हमारा भ्रम हो थोड़ी देर बाद उनको फिर सुनाई दिया .
दादा हो दादा उन्होंने अंदर जाकर देखा तो पता चला कि आज वह कृष्ण जी को रजाई ओढ़ना भूल गए थे वह कृष्ण जी के पास जाकर बैठ गए और बड़े प्यार से बोले आपको भी सर्दी लगती है क्या? निक्सन का इतना कहना था कि श्री कृष्ण जी के आँखों से आंसुओं की धारा बह चली ठाकुर जी को इस तरह रोता देख निक्सन भी फूट-फूट कर रोने लगे उस रात्रि ठाकुर जी के प्रेम में अंग्रेज भक्त इतना रोया उनकी आत्मा उनकी पंचभौतिक शरीर को छोड़कर श्री कृष्णा जी में समां गयी। फिर निक्सन कृष्ण प्रेम(krishna prem) नाम से विख्यात हुए।
ramanmsaulakh
प्रभु भक्त को बारम्बार प्रणाम
💞❤️राधे राधे जी💞❤️
dollyraghuvanshi
Mere Bihari ji ke charno me mera pranam
Jai jai shri Radhe Krishna
virasat-admin
jai shri radhe krishna
Shivani
Banke bihari lal ki jai ho, mera khudka kissa hain, pichle sal m darshan k liye gayi thi, bde dino ki aas puri hui us din , to darshan bhi ji bhar k kiye aankho m aankhe milakar bihari ji se, ghar phuchi to thak kr ao gyi or spne m bihari ji mere sath aagye ghar pndit ji n bola le jao or sharngar krke chor jana. Aankhe khuli to pta chla bihari ji mere b sath sath aagye. Unka prem sbse alag hain. M bhagyashali hu . Bihari ji sbke manorath pure kare. Bolo vrndawan bihari laal ki jai ho
hamari virasat
bahut accha laga jankar…vo sabki sunte hai bas bhav sacha hona chahiye…apka jab bhav sacha hota hai tab sab acha hee hota hai…jai bihari ji ki…
Priyanka
Hare Krishna prabhuji mein jo kho gaya prabhu uske ho gye
hamari virasat
Bilkul sahi kaha apne..Hare krishna..
neil
banke bihari lal ki jay
Gouri
banke bihari lal ki jay