Aaj ka vichar:- चिंतन
चिंतन का मतलब होता है अपने मन की गहराइयों में जाना। उसको कई प्रकार से सोचना। जब आपके मन में बहुत सारे विचार आ रहे और आप निर्णय नहीं कर पा रहे तो आपको आतम चिंतन करना चाहिए।
चिंता और चिंतन :-
चिंता और चिंतन में बहुत अंतर होता है। चिंता हमे खुद से बहुत दूर ले जाता है जबकि चिंतन हमे अपने मन की गहराइयों में बहुत अंतर होता है। चिंता हमे खुद से बहुत दूर ले जाता है जबकि चिंतन हमे अपने मन की गहराइयों में उतरने में मदद करता है। जो जीवन में सही फैसले लेने के लिए आपको सही दिशा दीखता है। जब हम चिंतन करते हैं तो अनेक चीजों को जोड़ते हैं घटाते हैं। और इसी तरह से करते हुए अपने चिंतन को एक दिशा देते हुए चले जाते हैं। अगर आप सफल होना चाहते है चाहे संसार के कार्य में या भक्ति पथ पे आपको चिंतन करना चाहिए उसपे बार बार अच्छे से विचार करना चाहिए।
चिंतन कई प्रकार का होता है :-
- स्वली चिंतन [autistic thinking]
- यर्थाथवादी चिंतन [realistic thinking]
स्वली चिंतन [autistic thinking]:-
स्वली चिंतन वैसे चिंतन को कहा जाता है। जिसमे व्यक्ति अपनी कल्पनाओं और इच्छाओं की अभिव्यक्ति करता है। इसके अंदर किसी समस्याकासमाधान नहीं होता है। ऐसा चिंतन बिकुल व्यर्थ होता है ये केवल बचपन तक ही सिमित होना चाहिए क्युकी ये आपके जीवन की सचाईयो से आपको बहुत दूर ले जाता है। मतलब ये वो कल्पना जिसका तर्क से बुद्धि से कोई वास्ता नहीं है।
यर्थाथवादी चिंतन [realistic thinking]:-
यह ऐसा चिंतन है जिसका संबंध वास्तविकता से होता है। इसके द्वारा किसी समस्या का समाधान किया जाता है। जैसे कोई व्यक्तिकार के अंदर बैठ कर सफर कर रहा है। अचानक उसकी कार रूक जाती है तो उसके दिमाग के अंदर पहला प्रश्न आता है कार कैसे रूकी । फिर वह इस समस्या के समाधान के लिए चिंतन करता है।
यह चिंतन तीन प्रकार का होता है। यर्थाथवादी चिंतन एक ऐसा चिंतन है जब हमे हमारे दिमाग को किसी एक दिशा के अंदर सोचने के लिए विवश करना पड़ता है। किसी भी तरीके की समस्या यदि हमारी जिंदगी के अंदर आ जाती है।
इस चिंतन का सबसे अच्छा उदाहरण संत महापुरुष है। जो अपने चिंतन की गहराइयों में उतर कर हर इंसान की चिंता को दूर करते है।
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