जानिए, कुंभ मेले में कितने मत-कितने अखाड़े(Akhada) है? और उनके बारे में सभी जानकारी ?
हम सभी ये देखते है की कुंभ मेला में कई अखाड़े(Akhada) आते है और वो शाही स्नान करते है। कुंभ की शान है ये 13 अखाड़े, अपने इष्टदेवताओं के साथ आस्था की डुबकी लगाते हैं. एक अलग ही आध्यात्मिक लहर सी चलती है। आदि गुरु शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह भारत की सनातनी परंपरा में अखाड़ों की शुरुआत हुई। आज के दौर में देश में 13 अखाड़े हैं. किन्नर अखाड़ा भी अभी हाल में शामिल किया गया है। Haridwar Mahakumbh 2021 के आगाज के साथ ही शाही स्नान की तिथियां भी सामने आ गई हैं
तीन मत और 13 अखाड़े:-
यह एक तरीके से अद्भुत सांस्कृतिक वैभव का नजारा होता है, जो सनातन परंपरा की प्राचीनता को सामने रखता है. इस दौरान संत समाज के लोग और अधिष्ठाता विशेष सजी हुई और सोने-चांदी की पालकियों में बैठकर पूर्ण भव्य श्रृंगार के साथ यात्रा निकालते हुए नदी तट तक पहुंचते हैं. अखाड़ा साधुओं का वह दल है जो शस्त्र विद्या में भी पारंगत रहता है.
यह तीन मत हैं:-
उदासीन संप्रदाय
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शैव वह हैं जिनके अधिष्ठाता भगवान शिव हैं। वैरागी वैष्णव संप्रदाय श्रीहरि को अभीष्ठ मानते हैं। उदासीन संप्रदाय प्रकृति को ही ईश्वर मानकर अपना अभीष्ठ मानते हैं।
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इन तीनों ही मतों के अखाड़े इन नामों से जाने जाते हैं:-
शैव संन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े :
शैव संप्रदाय:- महानिर्वाणी, अग्नि, जूना, आवाह्न, अटल, आनंद, निरंजनी,
1. श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी– दारागंज प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
श्रीमहानिर्वाण अखाड़ा की स्थापना 671 ई में हुई थी। कुछ लोगों का मत है कि इसका जन्म बिहार-झारखण्ड के बैजनाथ धाम में हुआ था, जबकि कुछ हरिद्वार में नीलधारा के पास मानते हैं।महानिर्वाणी अखाड़े में लगभग 6,000 साधु हैं। इनके इष्टदेव कपिल महामुनि हैं।
2. श्री पंच अटल अखाड़ा– चैक हनुमान, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
श्री अटल अखाड़ा को 569 ई. में गोंडवाना क्षेत्र में स्थापित किया गया। अटल अखाड़े में लगभग 700 साधुओं की संख्या है। इस अखाड़े के इष्टदेव आदि गणेश हैं। इसकी मुख्य पीठ पाटन में है लेकिन आश्रम कनखल, हरिद्वार, इलाहाबाद, उज्जैन व त्र्यंबकेश्वर में भी हैं।
3. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी– दारागंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
श्री निरंजनी अखाड़ा की स्थापना 826 ई. में गुजरात के मांडवी मे हुए थी ..निरंजनी अखाड़े में लगभग 10,000 साधू हैं। जिनके इष्टदेव कार्तिकेय भगवान हैं। इनमें दिगंबर, साधु, महंत व महामंडलेश्वर होते हैं। इनकी शाखाएं इलाहाबाद, उज्जैन, हरिद्वार, त्र्यंबकेश्वर व उदयपुर में हैं।
4. श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती– त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)[त्रंब्यकेश्वर, नासिक (महाराष्ट्र)
श्री आनंद अखाड़े की स्थापना 855 ई. में मध्यप्रदेश के बेरार में हुई थी। इसका केंद्र भी वाराणसी है। इसकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन में हैं। आनंद अखाड़े के इष्टदेव सूर्य देवता है।]
5. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा– बाबा हनुमान घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
जूना अखाड़ा की स्थापना 1145 में उत्तराखण्ड के कर्णप्रयाग में हुई थी। इसे भैरव अखाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। कुंभ मेले में जूना अखाड़े सबसे बड़ा अखाड़ा है, इसमें तकरीबन चार लाख साधुओं शामिल हैं। इस अखाड़े के इष्टदेव दत्तात्रेय हैं।]
6. श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा– दशाश्वमेघ घाट, वाराणसी (उत्तर प्रदेश).
श्री आह्वान अखाड़े की स्थापना 646 में हुई थी और 1603 में पुनर्संयोजित किया गया। इस अखाड़े में करीब 12,000 साधू हैं। अखाड़े के इष्टदेव श्री दत्तात्रेय और श्री गजानन दोनो हैं। इसका आश्रम ऋषिकेश में भी है। इस समय स्वामी अनूप गिरी और उमराव गिरी इस अखाड़े के प्रमुख संतों में से हैं।
7. श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा– गिरीनगर, भवनाथ, जूनागढ़ (गुजरात)
इस अखाड़े की स्थापना 1136 में हुई थी। इनकी इष्ट देव गायत्री हैं और इनका प्रधान केंद्र काशी है। इनके सदस्यों में चारों पीठ के शंकराचार्य, ब्रह्मचारी, साधु व महामंडलेश्वर शामिल हैं। परंपरानुसार इनकी शाखाएं इलाहाबाद, हरिद्वार, उज्जैन व त्र्यंबकेश्वर में हैं। इस अखाड़े में करीब 3,000 हजार साधू हैं। ये इष्टदेव के रूप में माता गायत्री एवं अग्नि की पूजा करते हैं।]
बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े :
वैष्णव संप्रदाय:- निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी
8. श्री दिगम्बर अनी अखाड़ा– शामलाजी खाकचौक मंदिर, सांभर कांथा (गुजरात).
बालानंद अखाड़ा ई. 1595 में दारागंज में श्री मध्यमुरारी में स्थापित हुआ। समय के साथ इनमें निर्मोही, निर्वाणी, खाकी आदि तीन संप्रदाय बने। इस अखाड़े के इष्टदेव बालानंद स्वामी हैं। श्री दिगंबर अखाड़े में महिला संत नहीं होती हैं। इस अखाड़े के साधु इष्टदेव बालानंद स्वामी को पूजते हैं।]
9. श्री निर्वानी आनी अखाड़ा– हनुमान गादी, अयोध्या (उत्तर प्रदेश).[इस अखाड़े के साधू उर्ध्वपुंड तिलक लगाते है। इस अखाड़े के इष्ट देवता हनुमान जी हैं।]
10. श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा– धीर समीर मंदिर बंसीवट, वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश).[इस अखाड़े में लगभग 15 हजार साधु हैं। इस अखाड़े के इष्टदेवता हनुमान जी हैं।]
उदासीन संप्रदाय:- बड़ा उदासीन, नया उदासीन निर्मल संप्रदाय- निर्मल अखाड़ा
11. श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा– कृष्णनगर, कीटगंज, प्रयाग (उत्तर प्रदेश).
उदासीन अखाड़े की स्थापना सन् 1910 में हुई थी। इस संप्रदाय के संस्थापक श्रीचंद्रआचार्य उदासीन हैं। इनमें उदासीन साधु, मंहत व महामंडलेश्वरों की संख्या ज्यादा है। इस अखाड़े की शाखाएं प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, भदैनी, कनखल, साहेबगंज, मुलतान, नेपाल व मद्रास में हैं। इस अखाड़े में करीब 20,000 साधु हैं। जो की इष्टदेव के रुप में पंचदेव (गोलासाहिब) को पूजते हैं।]
12. श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन– कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड).
इस अखाड़े की स्थापना सन् 1710 में हुई थी। इसे बड़ा उदासीन अखाड़ा के कुछ सांधुओं ने अलग होकर स्थापित किया था। इनके प्रवर्तक मंहत सुधीरदासजी थे। इनकी शाखाएं प्रयाग हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं। अखाड़े में करीब 5,000 साधु हैं और अखाड़े के साधु इष्टदेव के रुप में पंचदेव की पूजा करते हैं।]
13. श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा– कनखल, हरिद्वार (उत्तराखंड)
निर्मल अखाड़ा की स्थापना सन् 1784 में हुई थी। श्रीदुर्गासिंह महाराज ने इसकी स्थापना की। इनकी ईष्ट पुस्तक श्री गुरुग्रन्थ साहिब है। इनमें सांप्रदायिक साधु, मंहत व महामंडलेश्वरों की संख्या बहुत है। इनकी शाखाएं प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और त्र्यंबकेश्वर में हैं। इस अखाड़े के साधू गुरूग्रंथ् साहिब की पूजा करते हैं। इस अखाड़े की स्थापना गुरू गोविंद जी के सहयोगी वीरसिंह जी ने की थी.
किन्नर अखाड़ा (2019):-
2016 में जब सिंहस्थ कुंभ लगा था तब किन्नर अखाड़ा भी सामने आया था. इसके पहले तक कुंभ में 13 अखाड़ों की पेशवायी होती आई है. 2019 के प्रयागराज कुंभ में भी यह अखाड़ा शामिल हुआ था. हालांकि इस अखाड़े को लेकर अन्य अखाड़ों में विवाद है. किन्नर अखाड़े के साथ कुल अखाड़ों की संख्या 14 है. कुंभ में 13 अखोड़ों को ही पेशवाई का अधिकार प्राप्त था। इस बार प्रयाग कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े को शामिल किया गया। इस अखाड़े में करीब 2500 साधु और संन्यासियों के पहुंचने का अनुमान है। किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं।
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा
14 अखाड़े और 3 मत है
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