श्री राधा जी का अवतरण

श्री राधा जी का अवतरण

कौन गा सकता है उस कृपा मई श्री जी( राधा रानी ) के बारे में जिनका एक बार नाम लेने से तन मन पावन और पवित्र हो जाता है। राधा रानी का इतिहास धन्य है वो गोपी  ग्वाल संत ऋषि जिन्होंने सिर्फ नाम ही नहीं लिया बल्कि उनका दर्शन भी किया। आये जानते है सिर्फ राधा रानी (radha rani radha) के चरणों की धुल के कण जितनी बातें।

राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया। उन्होंने श्रीराधा (shri radha) की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो।

  • सुदामा काँप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूँ।
  • इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो।
  • सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी।
  • सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है।
  • इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।

एक अन्य कथा है:-

नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने द्वादश वर्षो तक तप करके श्रीब्रह्मा से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा। फलस्वरूप द्वापर में वे राजा वृषभानु और रानी कीर्तिदा के रूप में जन्मे। दोनों पति-पत्नि बने। धीरे-धीरे श्रीराधा के अवतरण का समय आ गया।

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सम्पूर्ण व्रज में कीर्तिदा के गर्भधारण का समाचार सुख स्त्रोत बन कर फैलने लगा, सभी उत्कण्ठा पूर्वक प्रतीक्षा करने लगे। वह मुहूर्त आया। भाद्रपद की शुक्ला अष्टमी चन्द्रवासर मध्यान्ह के समये आकाश मेघाच्छन्न हो गया। सहसा एक ज्योति पसूति गृह में फैल गई यह इतनी तीव्र ज्योति थी कि सभी के नेत्र बंद हो गये।

एक क्षण पश्चात् गोपियों ने देखा कि शत-सहस्त्र शरतचन्द्रों की कांति के साथ एक नन्हीं बालिका कीर्तिदा मैया के समक्ष लेटी हुई है। उसके चारों ओर दिव्य पुष्पों का ढेर है। उसके अवतरण के साथ नदियों की धारा निर्मल हो गयी, दिशाऐं प्रसन्न हो उठी, शीतल मन्द पवन अरविन्द से सौरभ का विस्तार करते हुए बहने लगी।

Radha Rani

राधा बिना तो कृष्ण हैं ही नहीं:-

पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। कथा कुछ भी हो, कारण कुछ भी हो राधा बिना तो कृष्ण हैं ही नहीं।

राधा का उल्टा होता है धारा, धारा का अर्थ है करेंट, यानि जीवन शक्ति। भागवत की जीवन शक्ति राधा है। कृष्ण देह है, तो श्रीराधा आत्मा। कृष्ण शब्द है, तो राधा अर्थ। कृष्ण गीत है, तो राधा संगीत। कृष्ण वंशी है, तो राधा स्वर। भगवान् ने अपनी समस्त संचारी शक्ति राधा में समाहित की है। इसलिए कहते हैं-

 जहाँ कृष्ण राधा तहाँ जहं राधा तहं कृष्ण।


न्यारे निमिष न होत कहु समुझि करहु यह प्रश्न।।

श्री कृष्ण स्वयं कहते है :-

इस नाम की महिमा अपरंपार है। श्री कृष्ण स्वयं कहते है- जिस समय मैं किसी के मुख से ‘रा’ सुनता हूँ, उसे मैं अपना भक्ति प्रेम प्रदान करता हूँ और धा शब्द के उच्चारण करनें पर तो मैं राधा नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे चल देता हूँ। राधा कृष्ण की भक्ति का कालान्तर में निरन्तर विस्तार हुआ। निम्बार्क, वल्लभ, राधावल्लभ, और सखी समुदाय ने इसे पुष्ट किया। कृष्ण के साथ श्री राधा सर्वोच्च देवी रूप में विराजमान् है। कृष्ण जगत् को मोहते हैं और राधा कृष्ण को। १२वीं शती में जयदेवजी के गीत गोविन्द रचना से सम्पूर्ण भारत में कृष्ण और राधा के आध्यात्मिक प्रेम संबंध का जन-जन में प्रचार हुआ।

भागवत में एक प्रसंग आता है:-

अनया आराधितो नूनं भगवान् हरिरीश्वरः यन्नो विहाय गोविन्दः प्रीतोयामनयद्रहः।

प्रश्न उठता है कि तीनों लोकों का तारक कृष्ण को शरण देनें की सामर्थ्य रखने वाला ये हृदय उसी अराधिका का है, जो पहले राधिका बनी। उसके बाद कृष्ण की आराध्या हो गई। राधा को परिभाषित करनें का सामर्थ्य तो ब्रह्म में भी नहीं। कृष्ण राधा से पूछते हैं- हे राधे ! भागवत में तेरी क्या भूमिका होगी ? राधा कहती है- मुझे कोई भूमिका नहीं चाहिए कान्हा ! मैं तो तुम्हारी छाया बनकर रहूँगी। कृष्ण के प्रत्येक सृजन की पृष्ठभूमि यही छाया है, चाहे वह कृष्ण की बांसुरी का राग हो या गोवर्द्धन को उठाने वाली तर्जनी या लोकहित के लिए मथुरा से द्वारिका तक की यात्रा की आत्मशक्ति।

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आराधिका का वर्णन:-

आराधिका में आ को हटाने से राधिका बनता है। इसी आराधिका का वर्णन महाभारत या श्रीमद्भागवत में प्राप्त है और श्री राधा नाम का उल्लेख नहीं आता। भागवत में श्रीराधा का स्पष्ट नाम का उल्लेख न होने के कारण एक कथा यह भी आती है कि शुकदेव जी को साक्षात् श्रीकृष्ण से मिलाने वाली राधा है और शुकदेव जी उन्हें अपना गुरू मानते हैं। कहते हैं कि भागवत के रचयिता शुकदेव जी राधाजी के पास शुक रूप में रहकर राधा-राधा का नाम जपते थे। एक दिन राधाजी ने उनसे कहा कि हे शुक ! तुम अब राधा के स्थान पर श्रीकृष्ण ! श्रीकृष्ण ! का जाप किया करो। उसी समय श्रीकृष्ण आ गए। राधा ने यह कह कर कि यह शुक बहुत ही मीठे स्वर में बोलता है, उसे कृष्ण के हाथ सौंप दिया। अर्थात् उन्हें ब्रह्म का साक्षात्कार करा दिया। इस प्रकार श्रीराधा शुकदेव जी की गुरू हैं और वे गुरू का नाम कैसे ले सकते थे ? Radhe Radhe, Barsane Wali Radhe, Radha identity, Hindu mythology

Book of Shri Radha Rani Bhakti;- radha kripa kataksh

श्री राधा रानी, जो कि राधा के नाम से भी जानी जाती हैं, हिन्दू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और आदर्श व्यक्तित्व हैं। वे भगवान श्री कृष्ण की प्रमुख प्रियजन और भक्तिपूर्ण साथी हैं। श्री राधा रानी की पूजा विशेष रूप से वैष्णव सम्प्रदाय में की जाती है और उन्हें प्रेम, भक्ति और संपूर्णता का प्रतीक माना जाता है।

laddu gopal and radha rani

श्री राधा रानी की प्रमुख विशेषताएँ:

  1. भक्ति और प्रेम की अवतार: श्री राधा रानी की पूजा विशेष रूप से उनके प्रेम और भक्ति के प्रतीक के रूप में की जाती है। उनका प्रेम भगवान श्री कृष्ण के प्रति असीम और अनन्त है, जो दर्शाता है कि सच्ची भक्ति और प्रेम भगवान तक पहुँचने का सर्वोत्तम मार्ग हैं।
  2. रासलीला की महत्वपूर्ण पात्र: श्री राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण के बीच की रासलीला (नृत्य) ने भक्तों को यह सिखाया कि भक्ति केवल साधना नहीं, बल्कि एक प्रेमपूर्ण संबंध भी है। यह लीलाएँ हमें सिखाती हैं कि भक्ति का आनंद और गहराई प्रेम के संपूर्णता में ही छिपी है।
  3. श्री कृष्ण के साथ आध्यात्मिक एकता: श्री राधा रानी और श्री कृष्ण की जोड़ी को आध्यात्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। वे अद्वितीय हैं और उनका संबंध भगवान कृष्ण की सम्पूर्णता को व्यक्त करता है। श्री राधा रानी के बिना, श्री कृष्ण की महिमा अधूरी मानी जाती है।
  4. सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व: राधा रानी की पूजा और उनका व्रत (राधाष्टमी) विशेष रूप से भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है। राधा रानी की भक्ति के विभिन्न रूप और उनके जीवन की कथा धार्मिक ग्रंथों जैसे भागवत पुराण, श्रीमद्भागवत और चैतन्य चरितामृत में विस्तृत रूप से वर्णित हैं।
  5. राधा-कृष्ण के स्वरूप: राधा रानी और श्री कृष्ण के मिलन को भक्ति और दिव्य प्रेम की पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। राधा रानी की उपस्थिति भगवान कृष्ण की दिव्य लीलाओं और उनके सच्चे प्रेम का अभिन्न हिस्सा है।

श्री राधा रानी की पूजा करने से भक्तों को प्रेम, भक्ति, और अध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। उनकी उपासना से भक्तों के जीवन में शांति, सुख, और आंतरिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनकी महिमा और भक्ति का अनुभव करने के लिए, भक्त उन्हें अपने हृदय में स्थान देते हैं और उनका अनुसरण करते हैं।

प्रेमानंद महाराज( premanand ji maharaj ) ने किशोरी जी (राधारानी) के 28 नामों के बारे में बताया कि अगर कोई इन नामों का जाप कर तो उसके सारे कष्ट कट जाएंगे और दुख दर्द खत्म हो जाएंगे।

यह नाम कुछ इस प्रकार हैं…..

1. राधा 
2. रासेश्वरी 
3. रम्या 
4. कृष्णमत्राधिदेवता 
5. सर्वाद्या 
6. सर्ववन्द्या 
7. वृन्दावनविहारिणी 
8. वृन्दाराधा 
9. रमा 
10. अशेषगोपीमण्डलपूजिता 
11. सत्या 
12. सत्यपरा 
13. सत्यभामा 
14. श्रीकृष्णवल्लभा 
15 वृषभानुसुता 
16. गोपी 
17. मूल प्रकृति 
18. ईश्वरी 
19. गान्धर्वा 
20. राधिका 
21. रम्या 
22. रुक्मिणी 
23. परमेश्वरी 
24. परात्परतरा
25. पूर्णा
26. पूर्णचन्द्रविमानना 
27. भुक्ति- मुक्तिप्रदा  
28. भवव्याधि-विनाशिनी

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श्री राधे

Radha rani bhajan
श्री राधा कौन थी(radha kaun thi)?

श्री राधे श्रीकृष्ण की आल्हादनी शक्ति है। । सब उन्हें प्रेम की देवी रूप में जानते है।

  • Ranvijay Mall

    Ranvijay Mall

    अगस्त 7, 2019

    Jai Sri Radhe

    • hamari virasat

      hamari virasat

      अगस्त 8, 2019

      jai shri radhe

  • Ramu maurya

    Ramu maurya

    सितम्बर 8, 2019

    Jai shree radhekrishna

    • hamari virasat

      hamari virasat

      सितम्बर 9, 2019

      JAI SHRI RADHE KRISHNA

  • Dinesh luthra

    Dinesh luthra

    जनवरी 11, 2020

    Jai Shri Radha Rani ..barsana. Maa ke charno me aane ka kabhi saubhagya nahi Mila ..

    • hamari virasat

      hamari virasat

      जनवरी 11, 2020

      shri radhe.jarur milega aap roj 1 bhar bhav se bhakti se shri radhe keh kar binti karyi mujhe barsana bula lo maa apka darshan karna hai, suna hai apki kripa bina koi barsana nhi aa pata, mujhpe kripa kigiye maa. kuch hee dino mei aap pe kripa jarur hogi
      shri radhe

  • sangeeta

    sangeeta

    अप्रैल 13, 2021

    jai shree radhey shyam

  • kirtik

    kirtik

    फ़रवरी 16, 2022

    🙏राधे राधे 🙏

  • kirtik

    kirtik

    फ़रवरी 17, 2022

    🙏राधे राधे 🙏
    🙏माताश्री राधारानी की जय 🙏

  • kirtik

    kirtik

    मार्च 14, 2022

    🙏माता श्री राधारानी श्री बांके बिहारी लाल की कृपा की कृपा से वृन्दावन और बरसाना आये थे अभी वह से आने का मन नहीं करता है
    राधारानी के चरणों में ही आनंद आता है जय जय श्री राधे 🙏

  • kirtik

    kirtik

    अप्रैल 2, 2022

    🙏श्री राधारानी बिहारी जी की कृपा से वृन्दावन बरसाना गए है 🙏

  • kirtik

    kirtik

    अप्रैल 2, 2022

    🙏श्री राधारानी बिहारी जी की कृपा से वृन्दावन बरसाना गए है 🙏

  • kirtik

    kirtik

    अप्रैल 2, 2022

    🙏श्री राधारानी बिहारी जी की कृपा से वृन्दावन बरसाना गए है 🙏
    🙏राधे राधे 🙏
    🙏श्री बांके बिहारीलाल की जय 🙏

  • jitesh sahani

    jitesh sahani

    मई 30, 2023

    raddhe raddhe

    • hamari virasat

      hamari virasat

      जून 9, 2023

      radhe radhe

  • Renu

    Renu

    अगस्त 16, 2023

    Radhe. Radhe

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