याद आ रही है वृन्दावन की होली
वृन्दावन की होली हे बिहारी जी , खुशबू आने लगी है अभी से रंगो और गुलालों की, बुला लो अब
वृन्दावन की होली हे बिहारी जी , खुशबू आने लगी है अभी से रंगो और गुलालों की, बुला लो अब
सुविचार(Good thought) गुरुर में इंसान को कभी इंसान नहीं दिखता जैसे छत पर चढ़ जाओ तो
कौन गा सकता है उस कृपा मई श्री जी( राधा रानी ) के बारे में जिनका एक बार नाम लेने से तन मन पावन और
गोपी भाव कैसे गुजरेगी ये पूरी जिंदगी तेरे इंतजार में अभी तो कुछ पल ही काटे हैं तेरे इंतजार
सोना ठीक है पर जागते हुए गहरी नींद में सोना गलत है एक बार भगवान गौतम बुद्ध(gautam buddha) एक गाँव
क्यों उसकी याद आकर मुझे जगा जाती है दूर से ही सही पर क्यों उसकी सदा आती है। क्यों उसकी याद आकर
वृन्दावन की होली प्रेम की होली वृन्दावन की होली प्रेम की होली होती है जंहा श्री कृष्णा ने राधा संग
उसकी मर्ज़ी से हो फिर उस बात पे कभी शक न हो। हमारे जीवन में जो भी घटित होता हैं, उसका कहीं न कहीं
एक सुकून पाने की तलाश में कितनी बेचैनिया पाल ली ' लोग कहते है हम बड़े हो गए और हमने जिंदगी संभाल
कहाँ तक विश्वास(faith) इस बात को कोई कैसे समझा सकता है..ये शब्दों का विषय नहीं ये इंसान की अनुभूति