Brihaspati dev ki aarti-ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।श्री बृहस्पति देव की आरती

Brihaspati dev ki aarti-ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।श्री बृहस्पति देव की आरती

बृहस्पति देव की आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो हिंदू धर्म में बृहस्पति देवता की पूजा के दौरान गाया जाता है। बृहस्पति देव, जिन्हें गुरु या बृहस्पति भी कहा जाता है, ज्ञान, शिक्षा, और धार्मिकता के देवता हैं। वे देवताओं के गुरु और planet Jupiter के स्वामी माने जाते हैं। उनकी आरती विशेषकर शुक्रवार को की जाती है, जो कि बृहस्पति के दिन के रूप में जाना जाता है।

बृहस्पति देव की आरती के मुख्य अंश:

  1. आरती का प्रारंभ: आरती की शुरुआत बृहस्पति देव के चरणों की वंदना से होती है। इसमें बृहस्पति देव के सभी गुणों और उनके ज्ञान देने वाले स्वरूप की प्रशंसा की जाती है।
  2. आरती की पंक्तियाँ: बृहस्पति देव की आरती में विभिन्न पंक्तियाँ होती हैं जो उनके दिव्य गुणों और शक्तियों का वर्णन करती हैं। Read Brihaspati dev ki aarti

Brihaspati dev ki aarti lyrics:-

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

श्री बृहस्पतिवार की आरती-

ॐ जय बृहस्पति देवा

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।

छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

3. धूप, दीप और नमन: आरती के दौरान, बृहस्पति देव की मूर्ति के सामने दीपक जलाया जाता है और धूप दी जाती है। इस समय भक्ति भाव से बृहस्पति देव की पूजा की जाती है और उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है। दीप की रौशनी और धूप की सुगंध पूजा को पवित्र और मंगलमय बनाती है।

4.आरती के लाभ: बृहस्पति देव की आरती करने से व्यक्ति को ज्ञान, समृद्धि, और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिनकी बृहस्पति की स्थिति ग्रहों की कुंडली में कमजोर होती है या जिन्हें शिक्षा और करियर में सफलता चाहिए होती है।

5. समापन और आशीर्वाद: आरती के अंत में, भक्त बृहस्पति देव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी मूर्ति के सामने नमन करते हैं और उनके कृपा से अपने जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाने की प्रार्थना करते हैं।

आरती का महत्व

बृहस्पति देव की आरती एक साधना का रूप है जो आस्था और भक्ति से जुड़ी हुई होती है। यह न केवल धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी है। नियमित रूप से बृहस्पति देव की पूजा और आरती करने से जीवन में सुख-समृद्धि और समर्पण की भावना को बढ़ावा मिलता है।

यदि आप बृहस्पति देव की आरती का अभ्यास करते हैं, तो यह आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और आपके सभी कठिनाइयों को दूर कर सकता है। बृहस्पति देव की पूजा करने से जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है और आशीर्वाद के रूप में समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

बृहस्पति देव का दान

यदि आपकी कुंडली में गुरु दोष है, तो उसे दूर करने के लिए गुरुवार के दिन विशेष उपाय किए जाते हैं। इस दिन बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखा जाता है और दान किया जाता है।

गुरुवार को निम्नलिखित वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है:

  • पीले फूल: बृहस्पति देव की पूजा में पीले फूल अर्पित किए जाते हैं, और इनका दान भी शुभ होता है।
  • बेसन के लड्डू: बेसन के लड्डू बृहस्पति देव को प्रिय होते हैं और इनका दान भी खास महत्व रखता है।
  • चने की दाल: चने की दाल का दान भी बृहस्पति देव की पूजा का एक हिस्सा है और इसे दान करने से लाभ होता है।
  • पीले वस्त्र: पीले रंग का वस्त्र बृहस्पति देव के प्रतीक के रूप में दान किया जाता है।
  • पुस्तक: बृहस्पति देव ज्ञान और शिक्षा के देवता हैं, इसलिए किताबों का दान भी उपयुक्त है।

ये दान किसी ब्राह्मण को करें और अपने गुरुजन से आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करें। इस दिन इन उपायों को अपनाने से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होती है और गुरु दोष को दूर किया जा सकता है।

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