राधा रानी भक्त गुलाब सखी की कहानी सच्ची भक्ति कभी खाली नहीं जाती
राधा रानी भक्त गुलाब सखी श्री बरसाने में प्रेम सरोवर के मार्ग पर एक समाधी बनी हुई है। जिसे हर कोई
राधा रानी भक्त गुलाब सखी श्री बरसाने में प्रेम सरोवर के मार्ग पर एक समाधी बनी हुई है। जिसे हर कोई
भाव वाली कविता बिहारी जी के लिए एक भक्त का प्यार कौन कहता है नदियों के दोनों किनारे कभी मिल नहीं
राधा ही कृष्ण और
कृष्ण ही राधा क्यों है ?
राधा कृष्णा(radha krishna) कोई दो नहीं
विरह भाव :
श्री कृष्णा (shri Krishna)
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विरह भाव :कृष्ण(krishna) कहते
वृन्दावन की होली हे बिहारी जी , खुशबू आने लगी है अभी से रंगो और गुलालों की, बुला लो अब
कौन गा सकता है उस कृपा मई श्री जी( राधा रानी ) के बारे में जिनका एक बार नाम लेने से तन मन पावन और
वृन्दावन की होली प्रेम की होली वृन्दावन की होली प्रेम की होली होती है जंहा श्री कृष्णा ने राधा संग
उसकी मर्ज़ी से हो फिर उस बात पे कभी शक न हो। हमारे जीवन में जो भी घटित होता हैं, उसका कहीं न कहीं
कहाँ तक विश्वास(faith) इस बात को कोई कैसे समझा सकता है..ये शब्दों का विषय नहीं ये इंसान की अनुभूति
पतझड़ के बाद बंसत ऋतु का आगमन होता है बंसत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. स्वयं भगवान कृष्ण ने कहा है