श्री गणेश चालीसा हिन्दी अर्थ सहित- Shri Ganesh Chalisa In Hindi
श्री गणेश चालीसा (Shri Ganesh Chalisa in Hindi)
॥दोहा॥
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
अर्थ: हे सद्गुणों के सदन भगवान श्री गणेश आपकी जय हो, कवि भी आपको कृपालु बताते हैं। आप कष्टों का हरण कर सबका कल्याण करते हो, माता पार्वती के लाडले श्री गणेश जी महाराज आपकी जय हो।
॥चौपाई॥
जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
अर्थ: हे देवताओं के स्वामी, देवताओं के राजा, हर कार्य को शुभ व कल्याणकारी करने वाले भगवान श्री गणेश जी आपकी जय हो, जय हो, जय हो।
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
अर्थ: घर-घर सुख प्रदान करने वाले हे हाथी से विशालकाय शरीर वाले गणेश भगवान आपकी जय हो। श्री गणेश आप समस्त विश्व के विनायक यानि विशिष्ट नेता हैं, आप ही बुद्धि के विधाता है बुद्धि देने वाले हैं।
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
अर्थ: हाथी के सूंड सा मुड़ा हुआ आपका नाक सुहावना है पवित्र है। आपके मस्तक पर तिलक रुपी तीन रेखाएं भी मन को भा जाती हैं अर्थात आकर्षक हैं।
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
अर्थ: आपकी छाती पर मणि मोतियां की माला है आपके शीष पर सोने का मुकुट है व आपकी आखें भी बड़ी बड़ी हैं।
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
अर्थ: आपके हाथों में पुस्तक, कुठार और त्रिशूल हैं। आपको मोदक का भोग लगाया जाता है व सुगंधित फूल चढाए जाते हैं।
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
अर्थ: पीले रंग के सुंदर वस्त्र आपके तन पर सज्जित हैं। आपकी चरण पादुकाएं भी इतनी आकर्षक हैं कि ऋषि मुनियों का मन भी उन्हें देखकर खुश हो जाता है।
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
अर्थ: हे भगवान शिव के पुत्र व षडानन अर्थात कार्तिकेय के भ्राता आप धन्य हैं। माता पार्वती के पुत्र आपकी ख्याति समस्त जगत में फैली है।
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे। मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
अर्थ: ऋद्धि-सिद्धि आपकी सेवा में रहती हैं व आपके द्वार पर आपका वाहन मूषक खड़ा रहता है।
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुची पावन मंगलकारी॥
अर्थ: हे प्रभु आपकी जन्मकथा को कहना व सुनना बहुत ही शुभ व मंगलकारी है।
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
अर्थ: एक समय गिरिराज कुमारी यानि माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए भारी तप किया।
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अर्थ: जब उनका तप व यज्ञ अच्छे से संपूर्ण हो गया तो ब्राह्मण के रुप में आप वहां उपस्थित हुए।
अतिथि जानी के गौरी सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अर्थ: आपको अतिथि मानकार माता पार्वती ने आपकी अनेक प्रकार से सेवा की।
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
अर्थ: जिससे प्रसन्न होकर आपने माता पार्वती को वर दिया।
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
अर्थ: आपने कहा कि हे माता आपने पुत्र प्राप्ति के लिए जो तप किया है, उसके फलस्वरूप आपको बहुत ही बुद्धिमान बालक की प्राप्ति होगी और बिना गर्भ धारण किए इसी समय आपको पुत्र मिलेगा।
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अर्थ: जो सभी देवताओं का नायक कहलाएगा, जो गुणों व ज्ञान का निर्धारण करने वाला होगा और समस्त जगत भगवान के प्रथम रुप में जिसकी पूजा करेगा।
अस कही अन्तर्धान रूप हवै। पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
अर्थ: इतना कहकर आप अंतर्धान हो गए व पालने में बालक के स्वरुप में प्रकट हो गए।
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
अर्थ: माता पार्वती के उठाते ही आपने रोना शुरु किया, माता पार्वती आपको गौर से देखती रही आपका मुख बहुत ही सुंदर था माता पार्वती में आपकी सूरत नहीं मिल रही थी।
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
अर्थ: सभी मगन होकर खुशियां मनाने लगे नाचने गाने लगे। देवता भी आकाश से फूलों की वर्षा करने लगे।
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
अर्थ: भगवान शंकर माता उमा दान करने लगी। देवता, ऋषि, मुनि सब आपके दर्शन करने के लिए आने लगे।
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥
अर्थ: आपको देखकर हर कोई बहुत आनंदित होता। आपको देखने के लिए भगवान शनिदेव भी आये।
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥
अर्थ: लेकिन वह मन ही मन घबरा रहे थे ( दरअसल शनि को अपनी पत्नी से श्राप मिला हुआ था कि वे जिस भी बालक पर मोह से अपनी दृष्टि डालेंगें उसका शीष धड़ से अलग होकर आसमान में उड़ जाएगा) और बालक को देखना नहीं चाह रहे थे।
गिरिजा कछु मन भेद बढायो। उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
अर्थ: शनिदेव को इस तरह बचते हुए देखकर माता पार्वती नाराज हो गई व शनि को कहा कि आप हमारे यहां बच्चे के आने से व इस उत्सव को मनता हुआ देखकर खुश नहीं हैं।
कहत लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
अर्थ: इस पर शनि भगवान ने कहा कि मेरा मन सकुचा रहा है, मुझे बालक को दिखाकर क्या करोगी? कुछ अनिष्ट हो जाएगा।
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
अर्थ: लेकिन इतने पर माता पार्वती को विश्वास नहीं हुआ व उन्होंनें शनि को बालक देखने के लिए कहा।
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
अर्थ: जैसे ही शनि की नजर बालक पर पड़ी तो बालक का सिर आकाश में उड़ गया।
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी। सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
अर्थ: अपने शिशु को सिर विहिन देखकर माता पार्वती बहुत दुखी हुई व बेहोश होकर गिर गई। उस समय दुख के मारे माता पार्वती की जो हालत हुई उसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता।
हाहाकार मच्यौ कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
अर्थ: इसके बाद पूरे कैलाश पर्वत पर हाहाकार मच गया कि शनि ने शिव-पार्वती के पुत्र को देखकर उसे नष्ट कर दिया।
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो। काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
अर्थ: उसी समय भगवान विष्णु गरुड़ पर सवार होकर वहां पंहुचे व अपने सुदर्शन चक्कर से हाथी का शीश काटकर ले आये।
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
अर्थ: इस शीष को उन्होंनें बालक के धड़ के ऊपर धर दिया। उसके बाद भगवान शंकर ने मंत्रों को पढ़कर उसमें प्राण डाले।
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
अर्थ: उसी समय भगवान शंकर ने आपका नाम गणेश रखा व वरदान दिया कि संसार में सबसे पहले आपकी पूजा की जाएगी। बाकि देवताओं ने भी आपको बुद्धि निधि सहित अनेक वरदान दिये।
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
अर्थ: जब भगवान शंकर ने कार्तिकेय व आपकी बुद्धि परीक्षा ली तो पूरी पृथ्वी का चक्कर लगा आने की कही।
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
अर्थ: आदेश होते ही कार्तिकेय तो बिना सोचे विचारे भ्रम में पड़कर पूरी पृथ्वी का ही चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े, लेकिन आपने अपनी बुद्धि लड़ाते हुए उसका उपाय खोजा।
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
अर्थ: आपने अपने माता पिता के पैर छूकर उनके ही सात चक्कर लगाये।
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
अर्थ: इस तरह आपकी बुद्धि व श्रद्धा को देखकर भगवान शिव बहुत खुश हुए व देवताओं ने आसमान से फूलों की वर्षा की।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥
अर्थ: हे भगवान श्री गणेश आपकी बुद्धि व महिमा का गुणगान तो हजारों मुखों से भी नहीं किया जा सकता।
मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
अर्थ: हे प्रभु मैं तो मूर्ख हूं, पापी हूं, दुखिया हूं मैं किस विधि से आपकी विनय आपकी प्रार्थना करुं।
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अर्थ: हे प्रभु आपका दास रामसुंदर आपका ही स्मरण करता है। इसकी दुनिया तो प्रयाग का ककरा गांव हैं जहां पर दुर्वासा जैसे ऋषि हुए हैं।
अब प्रभु दया दीना पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
अर्थ: हे प्रभु दीन दुखियों पर अब दया करो और अपनी शक्ति व अपनी भक्ति देनें की कृपा करें।
॥दोहा॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
अर्थ: श्री गणेश की इस चालीसा का जो ध्यान से पाठ करते हैं। उनके घर में हर रोज सुख शांति आती रहती है उसे जगत में अर्थात अपने समाज में प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है।
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
अर्थ: सहस्त्र यानि हजारों संबंधों का निर्वाह करते हुए भी ऋषि पंचमी (गणेश चतुर्थी से अगले दिन यानि भाद्रप्रद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी) के दिन भगवान श्री गणेश की यह चालीसा पूरी हुई।
॥इति श्री गणेश चालीसा ॥ Shri Ganesh Chalisa Ends ॥
Shri Ganesh Chalisa in English Lyrics
॥ Doha ॥
Jai Ganapati Sadguna Sadan, Kavivar Badan Kripaal,
Vighna Haran Mangal Karan, Jai Jai Girijaalaal
॥ Chaupai ॥
Jai Jai Jai Ganapati Ganaraaju,
Mangal Bharana Karana Shubha Kaajuu,
Jai Gajbadan Sadan Sukhdaata,
Vishva Vinaayaka Buddhi Vidhaataa
VakraTunda Shuchi Shunda Suhaavana,
Tilaka Tripunda bhaal Man Bhaavan,
Raajata Mani Muktana ura maala,
Swarna Mukuta Shira Nayana Vishaalaa
Pustak Paani Kuthaar Trishuulam,
Modaka Bhoga Sugandhit Phuulam,
Sundara Piitaambar Tana Saajit,
Charana Paadukaa Muni Man Raajit
Dhani Shiva Suvan Shadaanana Bhraataa,
Gaurii Lalan Vishva-Vikhyaata,
Riddhi Siddhi Tav Chanvar Sudhaare,
Mooshaka Vaahan Sohat Dvaare
Kahaun Janma Shubh Kathaa Tumhari,
Ati Shuchi Paavan Mangalkaarii,
Ek Samay Giriraaj Kumaarii,
Putra Hetu Tapa Kiinhaa Bhaarii
Bhayo Yagya Jaba Poorana Anupaa,
Taba Pahunchyo Tuma Dhari Dvija Rupaa,
Atithi Jaani Kay Gaurii Sukhaarii,
Bahu Vidhi Sevaa Karii Tumhaarii
Ati Prasanna Hvai Tum Vara Diinhaa,
Maatu Putra Hit Jo Tap Kiinhaa,
Milhii Putra Tuhi, Buddhi Vishaala,
Binaa Garbha Dhaarana Yahi Kaalaa
Gananaayaka Guna Gyaan Nidhaanaa,
Puujita Pratham Roop Bhagavaanaa,
Asa Kehi Antardhyaana Roop Hvai,
Palanaa Par Baalak Svaroop Hvai
BaniShishuRudanJabahiTum Thaanaa,
Lakhi Mukh Sukh Nahin Gauri Samaanaa,
Sakal Magan Sukha Mangal Gaavahin,
Nabha Te Suran Suman Varshaavahin
Shambhu Umaa Bahudaan Lutaavahin,
Sura Munijana Suta Dekhan Aavahin,
Lakhi Ati Aanand Mangal Saajaa,
Dekhan Bhii Aaye Shani Raajaa
Nija Avaguna Gani Shani Man Maahiin,
Baalak Dekhan Chaahat Naahiin,
Girijaa Kachhu Man Bheda Badhaayo,
Utsava Mora Na Shani Tuhi Bhaayo
Kahana Lage Shani Man Sakuchaai,
Kaa Karihau Shishu Mohi Dikhayii,
Nahin Vishvaasa Umaa Ura Bhayauu,
Shani Son Baalak Dekhan Kahyau
Padatahin Shani Drigakona Prakaashaa,
Baalak Sira Udi Gayo Aakaashaa,
Girajaa Girii Vikala Hvai Dharanii,
So Dukha Dashaa Gayo Nahin Varanii
Haahaakaara Machyo Kailaashaa,
Shani Kiinhon Lakhi Suta Ko Naashaa,
Turat Garuda Chadhi Vishnu Sidhaaye,
Kaati Chakra So GajaShira Laaye
Baalak Ke Dhada Uupar Dhaarayo,
Praana Mantra Padhi Shankar Daarayo,
Naama’Ganesha’ShambhuTabaKiinhe,
Pratham Poojya Buddhi Nidhi Vara Diinhe
Buddhi Pariikshaa Jab Shiva Kiinhaa,
Prithvii Kar Pradakshinaa Liinhaa,
Chale Shadaanana Bharami Bhulaai,
Rache Baithii Tum Buddhi Upaai
Charana Maatu-Pitu Ke Dhara Liinhen,
Tinake Saat Pradakshina Kiinhen
Dhani Ganesha Kahi Shiva Hiye Harashyo,
Nabha Te Suran Suman Bahu Barse
Tumharii Mahima Buddhi Badaai,
Shesha Sahasa Mukha Sake Na Gaai,
Main Mati Heen Maliina Dukhaarii,
Karahun Kaun Vidhi Vinaya Tumhaarii
Bhajata ‘Raamsundara’ Prabhudaasaa,
Jaga Prayaaga Kakraa Durvaasaa,
Ab Prabhu Dayaa Deena Par Keejai,
Apnii Bhakti Shakti Kuchha Deejai
॥ Doha ॥
Shrii Ganesha Yeh Chaalisaa, Paatha Karre Dhara Dhyaan ।
Nita Nav Mangala Graha Base, Lahe Jagat Sanmaana ॥
Sambandh Apna Sahasra Dash, Rishi panchamii dinesha ।
Poorana Chaalisaa Bhayo, Mangala Moorti Ganesha ॥
॥Shri Ganesh Chalisa Ends॥
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