जाने श्री कृष्ण जन्माष्टमी महा-महोत्सव के बारे में (janmashtami kab hai)

जाने श्री कृष्ण जन्माष्टमी महा-महोत्सव के बारे में (janmashtami kab hai)

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 (Shri Krishna janmashtami) जन्माष्टमी (वैष्णव, गौड़ीय, iskcon), दही हांड़ी, कालाष्टमी

श्री कृष्ण जन्माष्टमी बहुत प्रसिद्ध उत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्रावण-सावन के बाद जब भादों/भाद्रपद अगस्त-सितम्बर महीने आता है तभी से सभी कृष्ण प्रेमियों के बीच एक उत्सुकता देखने और सुनने को मिलती है की जन्माष्टमी कब है ( janmashtami kab hai) ? जन्माष्टमी जिसे श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी कहते है। ये उत्सव इसलिए बहुत खास हो जाता क्युकी ये कोई साधारण इंसान का जन्मोत्सव नहीं है। ये साक्षात् श्री हरि भगवान विष्णु के 24 अवतार में से एक है। भगवान विष्णु के 21 वे अवतार श्री कृष्ण जी का है। इस बार जन्माष्टमी के पर्व को लेकर भी लोगों में कन्फ्यूजन है। बहुत से लोग 6 सितंबर की रात को तो कई लोग 7 सितंबर की रात्रि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। इसके लिए हमें पंचांग को देखना होगा। कई लोग जानना चाहते हैं कि मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी? क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वहां सही तिथि को ही बनाई जाएगी उसकी को सभी फिर फॉलो करेंगे।

Shri krishna Janmashtami images

स्वभाव कैसा है श्री कृष्णा का(swbhav kaisa hai shri krishna ka) :-

उनके बारे में कोई क्या कह सकता है। “जो प्रेम से दिए माखन मिश्री पे रीझ जाये। जिसकी सिर्फ एक मुस्कराहट सारे दुःख हर ले जाये।” कहते है स्वभाव से कृष्णा बहुत नटखट है। लेकिन अपने भक्तो के अधीन है। जिसका जैसा भाव उसके अनुरूप वो ढल जाते है।

जन्माष्टमी का उत्सव(janmashtmi ka utsav):-

जन्माष्टमी का उत्सव केवल भारत में ही नहीं जो बल्कि पुरे विश्व में जहा भी कृष्ण भक्त है वह भी इसे पूरी आस्था, श्रद्धा और आनंद के साथ मनाते हैं. श्री कृष्ण जी का अवतार भाद्र माह(अगस्त ) की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था। उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। उनका जन्म मथुरा में कंस के जेल में हुआ था। तब से हर वर्ष इस तिथि को जन्माष्टमी या  श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के रूप में मानते है।

कहते है आज भी इस तिथि को उनका प्राकट्य होता है लेकिन भक्तो को ह्रदय में जिसमे भक्ति( प्रेम) का वास् होता है। भगवान कृष्ण की मनमोहक छवि देखने के लिए दूर दूर से श्रध्दालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं. इस दिन मंदिरों को सजाया जाता है. जन्माष्टमी के दिन स्त्री और पुरुष 12 बजे तक व्रत रखते हैं.

जन्माष्टमी कब है (janmashtmi kab hai or janmashtami kitni tarikh ko hai):-

विद्वानों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में जब आठवां मुहूर्त हो तब मनाते हैं। 7 सितंबर के मान से अष्टमी तिथि का आठवां मुहूर्त 7 सितंबर को दिन में उपस्थित होगा।

जन्माष्टमी 2023 मुहूर्त (Janmashtami 2023 Muhurat)
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि प्रारंभ-06 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर शुरू .
अष्टमी तिथि का समापन- 07 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा.

जो लोग 6 सितम्बर को मना रहे है उनकी जानकारी

रोहिणी नक्षत्र शुरू
06 सितंबर 2023, सुबह 09:20

रोहिणी नक्षत्र समाप्त
07 सितंबर 2023, सुबह 10:25

मध्यरात्रि पूजा का समय 
12:02 – 12:48 (7 सितंबर 2022)

अवधि
46 मिनट

व्रत पारण समय 
7 सिंतंबर 2023, सुबह 06.09 मिनट के बाद. (कई जगहों पर लोग कान्हा के जन्म के बाद व्रत खोलते हैं)

जो लोग 7 सितम्बर को मना रहे है उनकी जानकारी

कृष्ण जन्माष्टमी बृहस्पतिवार, सितम्बर 7, 2023 को

निशिता पूजा का समय(मध्यरात्रि पूजा का समय ) – 11:56 पी एम से 12:41 ए एम, सितम्बर 08

अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स

व्रत पारण समय  – 06:01 ए एम, सितम्बर 08 के बाद

पारण के दिन अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय से पहले समाप्त हो गये।

कब मनाते हैं जन्माष्टमी:-

  1. परंपरा से जन्माष्टमी का पर्व रात्रि की 12 बजे मनाते हैं।
  2. विद्वानों के अनुसार रोहिणी नक्षत्र में जब आठवां मुहूर्त हो तब मनाते हैं। 7 सितंबर के मान से अष्टमी तिथि का आठवां मुहूर्त 7 सितंबर को दिन में उपस्थित होगा। 7 सितंबर को जन्माष्टमी मानना सबसे उत्तम है। वृन्दावन में भी 7 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है।

जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि(janmashtmi vrat aur pujan vidhi):-

पूजा सामग्री :- भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना करने के लिए सामग्री कुछ इस तरीके से है।  पंचामृत, गंगाजल, दीपक, दही, शहद, दूध, दीपक, घी, बाती, धूपबत्ती, गोकुलाष्ट चंदन, अक्षत (साबुत चावल), तुलसी का पत्ता, माखन, मिश्री, भोग सामग्री।

  •  एक चौकी
  • एक खीरा
  • पीला साफ कपड़ा
  • बाल कृष्ण की मूर्ति
  • एक सिंहासन
  • पंचामृत
  • दही, शहद, दूध
  • दीपक,घी, बाती, धूपबत्ती
  • गोकुलाष्ट चंदन
  • अक्षत (साबुत चावल)
  • तुलसी का पत्ता
  • माखन, मिश्री, भोग सामग्री।

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बाल गोपाल की श्रृंगार सामग्री:

लडडू गोपाल (बाल गोपाल) के जन्म के बाद उनके श्रृंगार के लिए इत्र, कान्हा के लिए  नए सुन्दर पीले वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, गले के लिए वैजयंती माला , सिर के लिए मुकुट, हाथों के लिए चूड़ियां रखें, माथे के लिए चन्दन तिलक ,कानो के लिए कर्णफूल ,पैरो के लिए पायल और जो श्रृंगार समाग्री हो।

पूजन कैसे  करे :-

बाल गोपाल( श्री कृष्ण) का जन्म रात में 12 बजे के बाद होगा। बाल गोपाल को सबसे पहले आप दूध से उसके बाद दही, फिर घी, फिर शहद से स्नान कराने के बाद गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, ऐसा शास्त्रों में वर्णित है। जिन चीजों से बाल गोपाल का स्नान हुआ है, उसे पंचामृत बोला जाता है। पंचामृत को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। फिर भगवान कृष्ण को नए वस्त्र पहनाने चाहिए।

कहते है भगवान के जन्म के बाद  मंगल गीत भी गाना चाहिये और कुछ नए भाव भी सुनने चाहिए। कृष्णजी को आसान पर बैठाकर उनका श्रृंगार करना चाहिए। उनके सिर पर मोरपंख लगा हुआ मुकुट पहनाएं और उनकी प्यारी बांसुरी उनके पास रख दें। उनके हाथों में चूड़ियां, गले में वैजयंती माला पहनाएं। फिर  अब उनको चंदन और अक्षत लगाएं और धूप-दीप से पूजा करनी चाहिए। फिर माखन मिश्री के साथ अन्य भोग की सामग्री अर्पण करें। ध्यान रहे, भोग में तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए। तुलसी का पत्ता कृष्ण भगवान को अति प्रिय है। भगवान को झुला पर बिठाकर झुला झुलाएं और नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की का गाएं। साथ ही रातभर संकीर्तन करे ।

लड्डू गोपाल को झूले पे क्यों झूलते है?(ladoo Gopa jhoola)

कहते है जिस प्रकार हमारे घर में किसी छोटे बच्चे का जन्म होता है। तो हम कई सारी तैयारियां करते है। सबको बधाई देते है लेते है और तोफे देते है। और छोटे बच्चे को झूले पे लिटाकर झूलते है। और हमें ख़ुशी मिलती है   उसी प्रकार जन्माष्टमी के दिन हमें बाल गोपाल (लड्डू गोपाल) को झूले पे जरूर लिटाकर झूलना चाहिए।  कहते है ऐसा करने से हमें आनंद (ख़ुशी ) मिलती है और श्री कृष्णा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

क्यों भगवान श्रीकृष्ण जी का जन्म की कथा अद्भुत है ?

मथुरा-वृंदावन-गोकुल की जन्माष्टमी महा  महोत्सव विश्वप्रसिद्द है (mathura-vrindavan-gokul janmashtmi):-

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आज के दिन मथुरा पहुंचते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर मथुरा वृंदावन गोकुल कृष्णमय-प्रेममयी हो जाता है।

नंदोत्सव जन्माष्टमी के कल होकर नंदगांव में नंद उत्सव मनाया जाता है।

दही हांडी उत्सव :-

दही हांडी उत्सव भगवान श्री कृष्ण के बाल पन के नटखट दृश्य को दर्शाता है। कैसे श्री कृष्ण मटकी फोड़ा करते थे। जन्माष्टमी वाले दिन दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है. दही हांडी का उत्सव मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में धूम-धाम से मनाया जाता जाता था। लेकिन अब ये परम्परा भारत के कई राज्य में मान्य जाता है।इस परंपरा में दही हांडी को रंग बिरंगे कपड़े पहने युवक यानी गोविंदा दही की हांडी तक पहुंचने के लिए एक झुण्ड बना कर सीढ़ियों सा निर्माण कर लेते है। और कोई एक गोविंदा का रूप लेकर उनपर अपने पैर रख कर ऊपर पहुँचता है और हवा में लटकती हुई हांडी को तोड़ता हैं।
और इस मौके पर गोविंदा आला रे की गूंज रहती है. कहा जाता है कि बाल्य काल में भगवान श्री कृष्ण अपनी ग्वाला टोली के साथ घर-घर जाकर दूध, दही, मक्खन को लेकर अपने दोस्तों में बांट दिया करते थे. इसी वजह से हर साल श्री कृष्णा जन्म उत्सव पे ये  दही हांडी का आयोजन किया जाता है। जो बहुत ही मनमोहक दृश्य होता है।

जानिये क्या रहस्य छुपा है भगवान श्री कृष्ण(krishna bhagwan) के शरीर के नीले/श्याम रंग के पीछे ?

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जन्माष्टमी सम्बंधित जानकारी:-

  • कृष्ण जन्माष्टमी का क्या महत्व है?(What is the significance of Krishna Janmashtami?)

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व बहुत ही खास है क्युकी इस दिन श्री विष्णु भगवान के 21 वे अवतार का जन्म हुआ था जिसे सभी श्री कृष्णा भगवान के रूप में जानते है। कहते है इस दिन श्रद्धा भक्ति जिस दिल में वास् करती है उनके मन रुपी आंगन में श्री कृष्णा का जन्म होता  है। ये महा उत्सव होता है जो सबके जीवन में आनंद की वर्षा कर देता है।

  • हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं? (Why do we celebrate Janmashtami?)

श्री कृष्ण जी का अवतार भाद्र माह(अगस्त ) की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था। उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। उनका जन्म मथुरा में कंस के जेल में हुआ था। तब से हर वर्ष इस तिथि को जन्माष्टमी या  श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के रूप में मानते है।

  • जन्माष्टमी का इतिहास क्या है?(What is the history of Janmashtami?)

जन्माष्टमी का इतिहास जानने के लिए यहाँ क्लिक करे :-जन्माष्टमी

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डिसक्लेमर

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2023 Mein Janmashtami kab hai?

janmashtami 2023 Mein 7 september ko hai .

वृन्दावन बांके बिहारी जी के मंदिर में जन्माष्टमी कब मनाई जाएगी ?

8 September 2023 3:30 बजे early morning (8 September) बिहारी जी के मंदिर में मंगला आरती की जाती है।

हम जन्माष्टमी क्यों मनाते हैं?

श्री कृष्ण जन्म दिवस को जन्माष्टमी उत्सव के रूप में मानते है।

जन्माष्टमी का व्रत कब रखेंगे।

7 September ko

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