मैथिली भाषा, मगधी (मगही) और भोजपुरी के साथ, बिहार राज्य की तीन मुख्य भाषाओं में से एक है। यह इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की एक इंडो-आर्यन भाषा है। मैथिली पुरानी मिथिला (प्राचीन विदेह, अब तिरहुत का क्षेत्र) की भाषा है, जिसमें रूढ़िवादी और जीवन के मैथिल ब्राह्मण तरीके का वर्चस्व है। मैथिली एकमात्र बिहारी भाषा है जिसकी अपनी लिपि है, जिसे तिरहुत कहा जाता है, और एक मजबूत साहित्यिक इतिहास है। मैथिली भाषा में सबसे शुरुआती और सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक विद्यापति (15 वीं शताब्दी) थे, जो अपने प्रेम और भक्ति के गीतों के लिए प्रसिद्ध थे।
आधिकारिक स्थिति
2003 में, मैथिली को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में एक मान्यता प्राप्त भारतीय भाषा के रूप में शामिल किया गया था,
जो इसे भारत में शिक्षा, सरकार और अन्य आधिकारिक संदर्भों में उपयोग करने की अनुमति देती है।
मैथिली भाषा यूपीएससी परीक्षा में एक वैकल्पिक पेपर के रूप में शामिल है।
मार्च 2018 में, मैथिली को भारत के झारखंड राज्य में दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला।
भौगोलिक वितरण
भारत में, मैथिली मुख्य रूप से बिहार और झारखंड में दरभंगा, सहरसा, समस्तीपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, बेगूसराय, मुंगेर, खगड़िया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, शेहर, भागलपुर, मधेपुरा, मधेपुरा, अररिया, सुपौल, सुपौल, सुपौल, सुप्रीत, बिहार और झारखंड में बोली जाती है।
रांची, बोकारो, जमशेदपुर, धनबाद और देवघर। सांस्कृतिक और भाषाई केंद्रों का गठन करें।
नेपाल में, मैथिली बाहरी तराई जिलों में मुख्य रूप से बोली जाती है, जिसमें सरलाही, महतारी, धनुसा, सुनसरी, सिरहा, मोरंग और सप्तरी जिले शामिल हैं।
जनकपुर मैथिली का एक महत्वपूर्ण भाषाई केंद्र है।
इतिहास
मैथिली साहित्य का अपना समृद्ध इतिहास रहा है
चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी के कवि विद्यापति को मैथिली साहित्य में सबसे ऊँचा दर्जा प्राप्त है।
विद्यापति के बाद के काल में गोविन्द दास, चन्दा झा, मनबोध, पंडित सीताराम झा, जीवनाथ झा (जीवन झा) प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं।
त्रेता युग और मैथिली भाषा का संबंध
मैथिली का प्रथम प्रमाण रामायण में मिलता है।
यह त्रेता युग में मिथिलानरेश राजा जनक की राज्यभाषा थी
इस प्रकार यह इतिहास की प्राचीनतम भाषाओं में से एक मानी जाती है।
लगभग 900 इस्वी के आसपास इसमें रचनाएं की जाने लगी।
विद्यापति मैथिली के आदिकवि तथा सर्वाधिक ज्ञाता कवि हैं। विद्यापति ने मैथिली के अतिरिक्त संस्कृत तथा अवहट्ट में भी रचनाएं लिखीं।
लगभग 7-8 करोड़ लोग मैथिली को मातृ-भाषा के रूप में प्रयोग करते हैं और इसके प्रयोगकर्ता भारत और नेपाल के विभिन्न हिस्सों सहित विश्व के कई देशों में फैले हैं।
मैथिली भारत में एक राजभाषा के रूप में सम्मानित है। मैथिली की अपनी लिपि है जो एक समृद्ध भाषा की प्रथम पहचान है।
अब जा कर गैर सरकारी संस्था और मीडिया द्वारा मैथिली के विकास का थोड़ा प्रयास हो रहा है।
टीवी में भी अब मैथिली में खबर दिखाती है। नेपाल में कुछ चैनल है जैसे नेपाल 1, सागरमाथा चैनल, तराई टीवी और मकालू टीवी है।