ऐतिहासिक तीर्थ नगरी शुक्रताल स्थित प्राचीन एकादश रुद्र शिव मंदिर
शुकदेव जी मंदिर परिसर से थोड़ी दूर पर ही एकादश रूद्र शिव मंदिर(Ekadash Rudra Shiv Temple) स्थित है जिसका निर्माण सन 1401 में हुआ था. अभी भी मंदिर परिसर में उक्त समय की मूर्तियाँ, भित्तिचित्र तथा संरचना विद्यमान है. उत्तर भारत की ऐतिहासिक तीर्थ नगरी शुक्रताल स्थित प्राचीन एकादश रुद्र शिव मंदिर में रुद्राभिषेक किया जाता है।
भक्त रोशनलाल जी:-
कहते हैं कि लाला तुलसीराम जी के पूर्वज रोशनलाल जी जब एकादश रूद्र शिव मंदिर का निर्माण करा रहे थे तब अचानक ही गंगा मैया का प्रवाह मंदिर की ओर हो गया. उस समय भक्त रोशनलाल जी ने गंगा मैया की पूजा अर्चना की तथ उनसे अपना प्रवाह स्थल बदलने की प्रार्थना की. भक्त रोशनलाल जी की विनती सुनकर गंगा मैया ने अपना प्रवाह स्थल बदल लिया. रोशनलाल जी ने श्रद्धापूर्वक शिव मंदिर के साथ गंगा मंदिर का भी निर्माण कराया. उस समय ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो गंगा मैया भगवान शिव से मिलने आई थी.
शिव परिवार:-
करीब 679 वर्ष पूर्व बने मंदिर में शिव परिवार श्री गणेश जी, श्री कार्तिकेय, मां पार्वती के साथ नंदी पर सवार शिव तथा श्री लक्ष्मी जी की मनमोहक मूर्तियां विराजमान हैं। वहीं, लाल पत्थर के एकादश शिवलिंग भी स्थापित है। मंदिर की भीतरी दीवारों पर छत तक अनोखी तस्वीरें बनी हैं। वनस्पति रंगों से सदियों पूर्व बनी आज भी अति सुंदर नजर आती है। छत के गोले गुंबद में श्रीकृष्ण गोपियों के संग रासलीला में लत हैं, तो दीवारों पर नरसिंह भगवान हिरण्यकश्यप, भक्त प्रहलाद महाशक्ति, शंकर, पार्वती, नंदी, कश्यप मुनि, भस्मासुर, विष्णु भगवान, मां पृथ्वी, यशोदा, सूर्य व संजीवनी बूटी ले जाते महाबली हनुमान जी की तस्वीर बनी हैं। प्रांगण में ही शिव के वाहन संगमरमर के नंदी विराजमान हैं।
एकादश रुद्र शिव मंदिर की विशेषता :-
संस्कृत व अरबी भाषा में लगा है पत्थर
मंदिर की पौराणिकता के लिए मुख्य द्वार पर ही संस्कृत व अरबी भाषा में विक्रमी संवत 14041 का पत्थर लगा हुआ है।
रामधारी करते थे 18 घंटे साधना
ब्रह्मलीन नैष्टिक ब्रह्मचारी श्री रामधारी जी महाराज मंदिर पर प्रतिदिन 18 घटे तक पदमासन में बैठकर कड़ी तपस्या करते थे।
भगवान का होता है रुद्राभिषेक
श्रावण मास में अनुष्ठान कराने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।