श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व (janmashtami festival)
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Bhagwan Shri Krishna ka janam utsav
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Description
कृष्ण जन्माष्टमी (Shri Janmashtami Festival) को भगवान कृष्ण की जयंती(जन्म दिवस ) के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती के नाम से भी जाना जाता है। गुजरात में कृष्ण जन्माष्टमी को सतम अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है और दक्षिण भारत में विशेष रूप से केरल में कृष्ण जन्माष्टमी को अष्टमी रोहिणी के रूप में मनाया जाता है। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण की जयंती का वार्षिक उत्सव है और यह पूरे भारत में मनाया जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जन्माष्टमी श्रावण या भाद्र महीने में कृष्ण पक्ष (अंधेरे पक्ष) की अष्टमी (आठवें दिन) को मनाई जाती है। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के 22 वे अवतार थे.
जन्माष्टमी उद्गम | महत्व (History):-
जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म युग(दिवस ) के बाद से मनाई जा रही है। जन्माष्टमी भगवान कृष्ण की जयंती(जन्म उत्सव ) का 5200+ वर्ष पुराना अनुष्ठानिक उत्साह का उत्सव है। वैदिक कालक्रम के अनुसार, 2023 में यह भगवान कृष्ण की 5250 वीं जयंती होगी।
कृष्ण जन्माष्टमी अधिकांश कृष्ण मंदिरों में महत्वपूर्ण पर्व है। भगवान कृष्ण से संबंधित हर शहर और देश के घर में जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है। ऐतिहासिक शहरों में, मथुरा, वृंदावन और द्वारका में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बहुत ही बड़े पैमाने पे मनाया जाता है। क्युकी मथुरा जन्म स्थली है वृन्दावन जा उनका बचपन बीता , और द्वारका जा उन्होंने कर्म को साधा।
जन्माष्टमी पर किन की पूजा होती है:-
जन्माष्टमी के दौरान जिन मुख्य भगवान की पूजा की जाती है, वे भगवान कृष्ण हैं। चूंकि जन्माष्टमी भगवान कृष्ण की जयंती है, भगवान कृष्ण के शिशु रूप, जिन्हें बाल गोपाल और लड्डू गोपाल के नाम से जाना जाता है, की पूजा कृष्ण जन्माष्टमी के दिन की जाती है।
भगवान कृष्णश्री राधा के अलावा, भगवान कृष्ण के माता-पिता यानी वासुदेव और देवकी (जिन्होंने जन्म दिया था) , भगवान कृष्ण के पालक माता-पिता यानी नंदा और यशोदा और भगवान कृष्ण के भाई-बहन यानी बलभद्र (भगवान बलराम) और सुभद्रा की भी जन्माष्टमी पूजा के दौरान पूजा की जाती है।
जन्माष्टमी त्योहारों की सूची:-
ज्यादातर जगहों पर जन्माष्टमी का उत्सव 2 दिनों तक चलता है। लेकिन श्री कृष्ण के जन्म के 6 दिन छठी के रूप में मनाया जाता है।
पहला दिन – कृष्ण जन्माष्टमी
दूसरा दिन – दही हांडी
जन्माष्टमी विधि:-
एक दिन का उपवास
मध्यरात्रि में बाल कृष्ण की पूजा
कृष्ण मंदिर के दर्शन
विशेष रूप से दुग्ध उत्पाद से बने मीठे व्यंजन बनाना
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कथा:-
श्री कृष्ण वसुदेव तथा देवकी की आठवी संतान थे, परंतु श्री कृष्ण के जन्म के तुरंत बाद वसुदेव जी उन्हे कंस से सुरक्षित रखने के लिए अपने मित्र नन्द बाबा के घर छोड़ आये थे. इसलिए श्री कृष्ण का लालन पोषण नन्द बाबा तथा यशोदा मैया ने किया. उनका सारा बचपन गोकुल मे बीता. उन्होने अपनी बचपन की लीलाए गोकुल मे ही रचाई तथा बड़े होकर अपने मामा कंस का वध भी किया. Read more……श्री कृष्ण जन्माष्टमी की कथा
जन्माष्टमी को किन-2 नाम से पुकारते है:-
श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार भी माने जाते है. भारत विभिनता मे समानता का देश है, इसी का उदहारण है कि जन्माष्टमी को कई नामो से जाना जाता है. जैसे
अष्टमी रोहिणी
श्री जयंती
कृष्ण जयंती
रोहिणी अष्टमी
कृष्णाष्टमी
गोकुलाष्टमी (Gokulashtami)
जन्माष्टमी पूजा विधि कैसे करे:-
श्री कृष्ण का जन्म कारागार में वसुदेव तथा देवकी के द्वारा रात्री 12 बजे हुआ था. इसलिए पूरे भारत मे कृष्ण जन्म को रात्री मे ही 12 बजे मनाया जाता है.
भाद्र महीने में कृष्ण पक्ष (अंधेरे पक्ष) की अष्टमी (आठवें दिन) को मनाई जाती है।
जन्म के बाद उनका दूध, दही तथा शुध्द जल से अभिषेक करते है, तथा माखन मिश्री, पंजरी तथा खीरा ककड़ी का भोग लगाते है.
तत्पश्चात कृष्ण जी की आरती करते है, भक्त खुशी मे रात भर भजन कीर्तन करते तथा नाचते गाते है।
माखन मिश्री कृष्ण जी को बहुत प्रिय था. अपने बाल अवतार मे उन्होने इसी माखन के लिए कई गोपियो की मटकिया फोड़ी थी और कई घरो से माखन चुरा कर खाया था. इसलिए उन्हे माखन चोर भी कहा जाता है. और इसी लिए उन्हे माखन मिश्री का भोग मुख्य रूप से लगाया जाता है.
हमारे पास 19 जुलाई 3228 ईसा पूर्व को भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में पुष्टि करने के लिए कोई सबूत नहीं है, लेकिन हमें यकीन है कि 19 जुलाई 3228 ईसा पूर्व कृष्ण जन्माष्टमी का दिन था।-> According to DrikPanchang
जन्माष्टमी का प्रारम्भ एवम् महत्व(janmashtami festival)
जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म काल से ही मनायी जा रही है। जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का 5200 वर्ष से भी अधिक पुराना अनुष्ठानिक उत्सव है। वैदिक कालक्रम के अनुसार 2023 में यह भगवान श्री कृष्ण का 5250वाँ जन्मोत्सव है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी सभी कृष्ण मन्दिरों का अत्यन्त महत्वपूर्ण उत्सव है। भगवान कृष्ण से सम्बन्धित शहरों और कस्बों के लिये जन्माष्टमी घर-घर मनाया जाने वाला उत्सव है। ऐतिहासिक शहरों में, मथुरा, वृन्दावन और द्वारका के लोग कृष्ण जन्माष्टमी को अपने परिवार के सदस्य के जन्मोत्सव की तरह हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।