व्रज की पूरी भूमि श्री कृष्ण की लीला और चरणों से पावन पवित्र है। इसी भूमि एक स्थान ऐसा है माना जाता है कि संत रसखान ने यहां तपस्या की थी। यहां इनकी समाधि भी बनी हुई है। रमण बिहारी जी(raman reti) के प्राचीन मंदिर के जर्जर होने के कारण नए मंदिर में रमण बिहारी जी को विराजमान किया गया है। मंदिर राधा कृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति है। भक्तगण इनके दर्शन से पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
रमन रेती में क्या खास है ?:-
गोकुल के रमण रेती मंदिर परिसर में हर तरफ रेत ही रेत है। यहां जो भी कृष्ण भक्त आता है, बिना रेत में लोटे नहीं जाता। फागुन मास में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने बाल रूप में इस रेत पर लीलाएं की थीं। लोग मानते हैं कि इस रेत से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
यहां लोग रेत का घर भी बनाते हैं। मान्यता है कि इससे अपना घर बनाने की मुराद पूरी होती हैं।
लोग यहां आकर लोटते हैं, ताकि इस पवित्र मिट्टी से वे भी पवित्र हो सकें। मान्यता है कि बालकृष्ण यहां चले हैं इसलिए यह पवित्र है।
रमण रेती मंदिर के संत सुभावना तितरानंद ने बताया- भगवान कृष्ण के बाल्यावस्था में मंदिर की जगह जंगल था। इस जगह पर रमण बिहारी (कृष्ण) खेलते थे।
बीमारी दूर करने को पैरों व बदन पर रेत लगाते हैं भक्त:-
पुणे से आए त्रिलोक चंद शर्मा ने बताया- उनके घुटने में दर्द रहता है। वह ऐसे अपने दोस्तों के साथ यहां आए हैं।
रेत को पैरों पर रखकर एक घंटे वह त्रिलोक चंद बैठे रहे। उन्होंने कहा कि पिछले साल ऐसा करने से पैरों का दर्द दूर हो गया।
इंदौर की रजनी तिवारी अपने परिवार के साथ मंदिर में आईं। उन्होंने रेत से घर बनाया। उन्होंने कहा कि इससे घर की इच्छा पूरी हो जाएगी।
यहां आने वाले दर्शनार्थी रमण रेती की मिट्टी से तिलक करके श्री कृष्ण के चरण रज को माथे से लगाने की अनुभूति करते हैं।
मंदिर खुलने का समय :-
गर्मी में , प्रातः काल : 05:00 प्रातः से 12:00 दोपहर संध्याकाल : 04:00 दोपहर से 09:00 रात्रि
शीतकाल में प्रातः काल : 05:30 प्रातः से 12:00 दोपहर