इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। रणकपुर में एक चतुर्मुखी जैन मंदिर है(rankpur temple), जो भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पद चिह्न भी हैं, जो भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं। माना जाता है कि 1446 विक्रम संवत में इस मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हुआ था जो 50 वर्षों से अधिक समय तक चला। #ranakpur jain mandir in hindi
इसके निर्माण में करीब 99 लाख रुपए का खर्च आया था। मंदिर में चार प्रवेश द्वार हैं, मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर की चार विशाल मूर्तियां हैं। करीब 72 इंच ऊंची ये मूर्तियां चार अलग-अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं।
कहाँ है ये मंदिर :-
राजस्थान में रणकपुर जैन मंदिर स्थित है। जो की बहुत ही भव्य है। राजस्थान में स्थित रणकपुर मंदिर जैन धर्म के 5 प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
क्यों है ये मंदिर खास ?:-
इस मंदिर में 4 कलात्मक प्रवेश द्वार हैं। मंदिर के मुख्य गृह में तीर्थंकर आदिनाथ की संगमरमर से बनी 4 विशाल मूर्तियां हैं। करीब 72 इंच ऊंची ये मूतियां 4 अलग दिशाओं की ओर उन्मुख हैं। इसी कारण इसे ‘चतुर्मुख मंदिर’ कहा जाता है। इसके अलावा मंदिर में 76 छोटे गुम्बदनुमा पवित्र स्थान, 4 बड़े प्रार्थना कक्ष तथा 4 बड़े पूजन स्थल हैं। ये मनुष्य को जीवन-मृत्यु की 84 योनियों से मुक्ति प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। यहाँ आ कर बहुत ही सुकून मिलता है और ये भारत की सुंदरत को भी झलकाता है।
इस मंदिर की प्रमुख विशेषता इसके सैकड़ों खंभे हैं जिनकी संख्या करीब 1,444 है।
यहां आप जिस तरफ भी नजर घुमाएंगे आपको छोटे-बड़े आकारों के खंभे दिखाई देते हैं।
ये खंभे इस प्रकार बनाए गए हैं कि कहीं से भी देखने पर मुख्य पवित्र स्थल के ‘दर्शन’ में बाधा नहीं पहुंचती है।
मंदिर की छत पर की गई नक्काशी इसकी उत्कृष्टता का प्रतीक है।
इन खंभों पर अतिसुंदर नक्काशी की गई है। इन खंभों की खास विशेषता यह है कि ये सभी अनोखे और अलग-अलग कलाकृतियों से निर्मित हैं।
भविष्य की सुरक्षा :-
मंदिर बनानेवालों ने जहाँ कलात्मक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है, वहीं भविष्य में किसी संकट का अनुमान लगाते हुए कई तहखाने भी बनाए हैं। इन तहखानों में पवित्र मूर्तियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। ये तहखाने मंदिर बनाने वालो की दूरदृस्टि को दिखता है मंदिर के उत्तर में रायन पेड़ स्थित है। इसके अलावा संगमरमर के टुकड़े पर भगवान ऋषभदेव के पदचिह्न भी हैं। ये भगवान ऋषभदेव तथा शत्रुंजय की शिक्षाओं की याद दिलाते हैं।
रणकपुर का निर्माण कैसे हुआ:-
इस मंदिर का निर्माण 4 श्रद्धालुओं- आचार्य श्यामसुंदरजी, धरन शाह, कुंभा राणा तथा देपा ने कराया था। आचार्य सोमसुंदर एक धार्मिक नेता थे जबकि कुंभा राणा मलगढ़ के राजा तथा धरन शाह उनके मंत्री थे। धरन शाह ने धार्मिक प्रवृत्तियों से प्रेरित होकर भगवान ऋषभदेव का मंदिर बनवाने का निर्णय लिया था।
रणकपुर मंदिर का समय:-
रानाकपुर मंदिर हर रोज खुला है पर्यटकों को मंदिर का दौरा 12:00 बजे से शाम 5 बजे तक करने की अनुमति है। मंदिर 12:00 pm से पहले प्रार्थना के लिए खुला है।
रणकपुर मंदिर :-
उदयपुर से दूरी – 93 किमी (2.5 घंटे) जोधपुर से दूरी – 156 किमी (3 घंटे) जयपुर से दूरी – 357 किमी (5 घंटे) अगर आप कभी भी इस तरफ आये तो यहाँ आना न भूले क्यूंकि ये आपको एक अलग हे अनुभब देगा।