श्री गोरखनाथ मन्दिर

श्री गोरखनाथ मन्दिर

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Description

गोरखनाथ मंदिर(shri gorakhnath mandir) उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर नगर में स्थित है. बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही गोरखपुर शहर का नाम रखा गया है. जिन्हें गोरक्षनाथ के नाम से भी जाना जाता है, गोरखनाथ मंदिर के वर्तमान महन्त श्री बाबा योगी आदित्यनाथ महराज जी है साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी है. यह मंदिर नाथ योगियों का महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां योग साधना और तपस्या सिखाई जाती है. मुगल काल के दौरान  मंदिर को कई बार तोड़ा गया था. ऐसा माना जाता है कि मंदिर के वर्तमान ढांचे का निर्माण 19वीं सदी में महंत दिग्विजय नाथ और अवेद्यनाथ ने करवाया था.

गोरखनाथ-मंदिर, गोरखपुर उत्तर प्रदेश :धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

भारत का हृदय स्थल, जो उत्तर प्रदेश अपने शीर्षक के अनुरूप है क्योंकि राज्य विविध संस्कृतियों, रीति-रिवाजों और परंपराओं का एक महान मिश्रण प्रस्तुत करता है। यहां जो संस्कृति प्रचलित है वह भारतीय संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है जो विभिन्न धर्मों के मूल्यों में गहराई से परिपूर्ण है। गोरखपुर में स्थित गोरखनाथ-मंदिर(shri gorakhnath mandir) का भव्य निर्माण उसी पवित्र स्थान पर सम्पन्न हुआ है, जहाँ ज्वाला देवी के स्थान से परिभ्रमण करते हुए आकर गोरखनाथजी ने तपस्या की थी। इसके निकट ही मानसरोवर नामक तड़ाग से इसकी पवित्रता और दिव्यता जन-मानस को आज भी प्रेरित करती आ रही है। गोरखनाथ-मन्दिर बावन एकड़ के सुविस्तृत क्षेत्र में स्थित है तथा सुन्दर आकर्षक वृक्षों, फूलों और हरी घास के सुन्दर मैदानों से इसकी रमणीयता नित्य निरन्तर बढ़ती रहती है। 

52 एकड़ के विशाल क्षेत्र में चुपचाप बैठा, गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर नाथ परंपरा के नाथ मठ समूह से संबंधित है, जिसे माननीय गुरु मत्स्येंद्रनाथ जी द्वारा स्थापित किया गया था। गोरखनाथ मत्स्येंद्रनाथ जी के उल्लेखनीय शिष्यों में से एक थे और योग की एक प्रसिद्ध शाखा हठ योग के लिए प्रसिद्ध थे । यौगिक संस्कृति के पूरे इतिहास में गोरखनाथ को एक अत्यंत निपुण हिंदू योगी माना जाता है। गोरखपुर मंदिर का निर्माण संत गोरखनाथ के सम्मान में किया गया था जिन्होंने यहीं अपनी साधना की थी।

यूपी के गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर का इतिहास योगी आदित्यनाथ की आत्मकथा, जिसका शीर्षक ‘द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ है और शांतनु गुप्ता द्वारा लिखित है, में बहुत अच्छी तरह से बताया गया है।

गोरखनाथ मंदिर का इतिहास BABA SHRI GAORAKHNATH MANDIR:-

गोरखनाथ नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है यह एक प्रसिद्ध योगी थे जो पुरे भारत में व्यापक रूप से यात्रा करते थे और नाथ सम्प्रदाय के हिस्से के रूप में ग्रंथों के लेखक भी थे.

  • गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर उत्तर प्रदेश में स्थित है और इस मंदिर के वर्तमान महंत बाबा योगी आदित्यनाथ महराज जी है
  • बाबा योगी आदित्यनाथ महराज गोरखपुर मंदिर के महंत होने के साथ साथ उत्तर प्रदेश राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री भी है
  • गोरखनाथ मंदिर उसी स्थान पर स्थित है जहा पर जहा पर गुरु योगेश्वर गोरखनाथ बाबा तपस्या करते थे
  • योगेश्वर गोरखनाथ बाबा को श्रद्धांजलि दते हुए गोरखनाथ मंदिर की स्थापना की गई और इस मंदिर की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है
  • गोरखनाथ मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी संरचना और आकर समय के अनुसार कई बार बदला गया है
  • आज के समय में गोरखनाथ मंदिर कि जो संरचना है उसके बारे में कहा जाता है स्वर्गीय महंत दिग्विज्य नाथ और महंत अवेद्यनाथ के द्वारा जी द्वारा अवधारणा किया गया था.

गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में मनाये जाने वाले त्यौहार:-

गोरखपुर के मध्य में स्थित गोरखनाथ मठ दो गोरखनाथ मंदिरों का संचालन और प्रबंधन करता है। एक नेपाल के गोरखा जिले में स्थित है (माना जाता है कि इस स्थान का नाम संत गोरखनाथ के नाम पर रखा गया था) और दूसरा गोरखपुर से थोड़ा दक्षिण में है।

हर साल मकर संक्रांति के मौके पर हजारों श्रद्धालु गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में गोरखनाथ बाबा की पूजा-अर्चना और खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। ऐसे त्योहारों के दौरान कभी-कभी नेपाल के राजा भी मंदिर में आते हैं।

मकर संक्रांति के अलावा, गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर कई सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन करता है जिनका उद्देश्य हिंदू रीति-रिवाजों और परंपराओं को बनाए रखना है, और इस प्रकार इसे शहर का एक सांस्कृतिक केंद्र माना जाता है।

गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर जाने का समय:-

श्री गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से केवल 4.5 Km दूर है। यदि कोई ट्रेन से जाना चाहता है, तो वह मंदिर तक पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन का उपयोग कर सकता है जो रेलवे स्टेशन के बाहर आसानी से उपलब्ध है।

 मंदिर खुलने का समय(Shri Gorakhnath Mandir time)

ब्रह्म वेला

प्रातः तीन बजे से चार बजे श्री नाथ जी की मंगल आरती

मध्याह्न

11 बजे से श्रीनाथ जी की भोग आरती

सायंकाल

6 बजे से 8 बजे तक संध्या आरती

आरती का समय

ब्रम्ह वेला

प्रातः तीन बजे से चार बजे श्री नाथ जी की मंगल आरती

मध्याह्न

11 बजे से श्रीनाथ जी की भोग आरती

सायंकाल

6 बजे से 8 बजे तक संध्या आरती

अखण्ड अन्नक्षेत्र-भण्डारा:-

खण्ड अन्नक्षेत्र या भण्डारा गुरु श्री गोरक्षनाथ मन्दिर की प्राचीन परम्परा है। कोई भी भक्त इस भण्डारे में सम्मिलित होकर श्रीनाथ जी का प्रसाद पा सकता है। इस भण्डारे का संचालन मध्याह्न तथा सांयकाल में होता है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भक्त, दर्शनार्थी और असहाय व्यक्ति बिना किसी भेद-भाव के भण्डारे में आकर भोजन पाते हैं। ऐसा विश्वास है कि भण्डारे का प्रसाद पाने से रोगों और व्याधियों से मुक्ति मिलती है तथा मनुष्य दीर्घायु होता है।

नाथ सम्प्रदाय:-

गोरखनाथ नाथ परंपरा में नाथ मठ समूह का एक मंदिर है.

शिव इस नाथ सम्प्रदाय(nath Sampradaya) के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। यह संप्रदाय सबसे पुराने और सबसे उल्लेखनीय संप्रदायों में से एक है। अनुयायी भगवा पहनते हैं, कभी-कभी आधे नग्न होते हैं, अपनी बाहों और शरीर को राख में धब्बा देते हैं।

नाथ शब्द :-

नाथ शब्द अति प्राचीन है । अनेक अर्थों में इसका प्रयोग वैदिक काल से ही होता रहा है । नाथ शब्द नाथृ धातु से बना है, जिसके याचना, उपताप, ऐश्वर्य, आशीर्वाद आदि अर्थ हैं –

“नाथृ नाथृ याचञोपता-पैश्वर्याशीः इति पाणिनी” ।

अतः जिसमें ऐश्वर्य, आशीर्वाद, कल्याण मिलता है वह “नाथ” है ।
‘नाथ’ शब्द का शाब्दिक अर्थ – राजा, प्रभु, स्वामी, ईश्वर, ब्रह्म, सनातन आदि भी है । इस कारण नाथ सम्प्रदाय का स्पष्टार्थ वह अनादि धर्म है, जो भुवन-त्रय की स्थिति का कारण है । श्री गोरक्ष को इसी कारण से ‘नाथ’ कहा जाता है । ‘शक्ति-संगम-तंत्र’ के अनुसार ‘ना’ शब्द का अर्थ – ‘नाथ ब्रह्म जो मोक्ष-दान में दक्ष है, उनका ज्ञान कराना हैं’ तथा ‘थ’ का अर्थ है – ‘ज्ञान के सामर्थ्य को स्थगित करने वाला’ – Read More Nath Sampradaya

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