मान्यता है की यह मंदिर उसी जगह बना हुआ है जिस जेल में कृष्ण का जन्म हुआ था | मंदिर परिसर में भी एक जेलनुमा संरचना बनाई गयी है | यह मंदिर मुस्लिम शासको द्वारा कई बार तोडा गया है |औरंगज़ेब के समय इस मंदिर के पास ही मस्जिद बनाई गयी जिससे की लोगो का ध्यान दूर हो | मथुरा के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में है कृष्ण जन्मस्थली मंदिर कृष्ण जन्मभूमि, जो उस जेल के इर्द-गिर्द बना है जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसी जेल में मथुरा के राजा और भगवान कृष्ण के मामा कंस ने उनके माता-पिता को बंद करके रखा था। देश के बेहद पावन मंदिरों में से एक यह मंदिर पुराने मथुरा के पश्चिम में पड़ता है। यहां श्रद्धालुओं का यूं तो साल भर तांता लगा रहता है, लेकिन त्योहारों के दौरान यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
कहते हैं कि यहां भगवान कृष्ण की चार मीटर ऊंची शुद्ध ठोस सोने की मूर्ति थी, जिसे गज़नी के आक्रमण के दौरान यहां से चोरी कर लिया गया था। वर्तमान कृष्ण जन्मस्थान मंदिर की इमारत अपेक्षाकृत नई है। मंदिर के भीतर कृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को सामने लाते चित्रों समेत भगवान कृष्ण, उनकी प्रेयसी राधा, बलराम की मूर्तियां स्थापित हैं। इनके अलावा एक गहरा सीढ़ीयुक्त पानी का तालाब भी है।
श्री कृष्णा जन्मभूमि मन्दिर समय सारणी :
मंगला आरती प्रातःकाल : 05:30 प्रातः माखन भोग प्रातःकाल :08:00 प्रातः दर्शन समय प्रातःकाल : 05:30 प्रातः से 12:00 संध्या दर्शन समय दोपहर : 04:00 संध्या से 08:30 रात्रि संध्याकाल आरती : 06:00 संध्या
गर्भग्रह दर्शन:-
प्रातःकाल : 05:300 प्रातः से रात्रिकाल : 08:30 रात्रि श्री कृष्ण जन्म स्थान में केशव देव मंदिर ही सबसे प्राचीन है। केशव देव मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के अति सुंदर बाल विग्रहे है।
केशव देव मंदिर
इतिहासकारों के अनुसार, जेल प्रकोष्ठ, जिसे ’गर्भ गृह’ के नाम से जाना जाता है, मंदिर परिसर में सटीक जगह है जहाँ भगवान कृष्ण ने अवतार लिया था (या दिव्य जन्म)। पत्थर की दीवार वाला सेल राजा कंस की क्रूरता की याद दिलाता है। स्थल की खुदाई करने पर बीते युग की कई मूर्तियाँ मिलीं।
गर्भगृह और सिंहासन:-
कंस ने जिस स्थान पर वसुदेव और देवकी को कैदी बना कर रखा था। और जहॉ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। वहां खुदाई में निकले लगभग 1500 वर्ष प्राचीन गर्भगृह और सिंहासन को सुरक्षित रखा गया है। यह भी एक चमत्कार है की जब औरंगजेब मंदिर तोड़ कर उसके उपर ईदगाह बनबाई थी। तब गर्भ-गृह, ईदगाह के नीचे ही दव गया था। जो अब प्राप्त हुआ है। गर्भ-गृह के उपर एक बरामदा बना हुआ है। जिस पर संगमरमर के पत्थर लगे हुए है। यह एक चमत्कार ही है कि उन पत्थर पर भगवान श्री कृष्णा की अनेक छविया उभर आई है।
भागवत भवन का निर्वाण 17 वर्ष के कार्य के बाद हुआ था।
12 फरवरी 1982 में इस अति विशाल भागवत भवन में श्री राधा कृष्णा जी की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा की गयी थी।
इस भवन में और भी मंदिर बने हुए है। जैसे जगन्नाथ मंदिर जिसमें श्री जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम जी के बिग्राहे है,
श्री सीताराम-लछणन जी का मंदिर, महादेव बाबा मंदिर, हनुमान जी का मंदिर, शेरावाली माता का मंदिर है।
यहाँ के खम्बों पर भगवान श्री कृष्ण की अनेको लीला वनी हुई है।
और मंदिर की छत पर भगवान श्री कृष्ण की रास लीला और अनेक लीलाओ के बहुत सुन्दर चित्र बने हुए है।
जो आने वाले भक्तों का मन हर लेते है। मंदिर की परिक्रमा में ताम्रपत्र पर सम्पूर्ण श्री भगवत गीता लिखी हुई है।
करेगार में जन्मे श्री कृष्णा जी से क्या शिक्षा मिलती है :-
आज जब हमारा जनम होता है तो कितने ही भव्य तरीके से हम लोग मानते है न जाने क्या-क्या करते है। कितने ही लोग खुशिया मानाने वाले हमारे आस पास खड़े होते है। पर श्री कृष्णा जी का जब जन्म हुआ तो उनके आस पास कोई भी नहीं था जो खुशिया मनाता। उनका जनम जेल में हुआ था। इसलिए जरुरी नहीं की हमारे जीवन में काली अँधेरी रात है तो उसका सवेरा कभी नहीं होगा। दुखो में भी मुस्कुराना सीखना हो तो हमे श्री कृष्णा जी के जन्म से सीखना चाहिए।
इसमे कोई शक नहीं है कि मथुरा नगरी तीनो लोको से प्यारी है। मथुरा बासी तो यहाँ तक कहते है। तीनो लोको से प्यारी मथुरा नगरी हमारी।