श्री राधा रानी मंदिर (Shri Radha Rani Temple barsana)
श्री राधा जिन्होंने प्रेम की एक अद्भुत गाथा लिख दी
जो भी इनकी शरण में आया उसकी कृपा से झोली भर दी।
बरसाना यह नाम अपने आप में अद्भुत है बरसाना(barsana) जहां श्री राधा रानी(shri radha rani) की कृपा हमेशा बरसती रहती है यहां जो भी आता है श्री कृष्ण और राधा रानी के भक्ति के रस में डूब जाता है अपनी खाली झोली को राधे कृष्ण की भक्ति(प्रेम) से भर लेता है कहते हैं यूं तो बरसाना जब मिले मौका तो आना अगर बरसों बाद भी मौका मिले तो भी यहाँ जरूर आना। हम सभी की खोयी मंज़िलो का यहाँ ठिकाना है यहाँ स्वार्थ से परे एक दुनिया है जहाँ हमें शिक्षा मिलती है की भक्ति(प्रेम ) की कोई सीमा नहीं होती। प्रेम मिल जाये तो प्रेम करना आसान होता है पर प्रेमी अगर न मिले तो भी उतने ही प्यार से प्रेम करना और जीवन समर्पण कर देना ये सबकी बस की बात नहीं। पर बरसाना ऐसी हे भूमि है अगर ऐसे प्रेम को महसूस करना है देखना है तो आये श्री राधा जी की नगरी चलते है। मिलते है उनसे
मथुरा से 25 किमी दूर बरसाना गांव स्थित है
बरसाना गांव नाम क्यों पड़ा :-
बरसाना गांव(barsana village) नाम होने का कारण – श्री वृषभानु महाराज जी, श्री नन्द महाराज जी अत्यंत स्नेह करते थे। श्री नंद महाराज जब गोकुल में निवास कर रहे थे। तब वृषभानु महाराज गोकुल के निकट रावल गाँव में निवास कर रहे थे। श्री नंद महाराज जब श्री कृष्ण की सुरक्षा के लिए गोकुल से यमुना नदी पार कर नंदगाँव में आकर निवास करने लगे थे। यह सुनकर श्री वृषभानु महाराज भी रावल गाँव से आकर नंदगाँव निवास करने लगे थे। श्री वृषभानु महाराज जिस पर्वत पर निवास किया था। उस पर्वत का नाम भानुगढ़ पड़ा एवं इस पर्वत का दूसरा नाम ब्रहागिरि पर्वत भी है। उनके इस गाँव में निवास करने के कारण ही इस गाँव का नाम बरसाना गाँव पड़ा।
जिस स्थान पर वृषभानु जी बैठे थे। उस स्थान पर श्री राधा रानी मंदिर स्थित है। इस मंदिर में श्री राधा रानी के विग्रह की नित्य सेवा पूजा होती है। ब्रजधाम में जितने भी मंदिर है। उनमें से श्री राधा रानी का मंदिर सर्वोपरि है। मंदिर में प्रवेश की सीडिया सुन्दर पत्थरों से बनी हुई है। श्री कृष्ण जी ने अपने बचपन में अपने सखाओं के साथ जिस प्रकार सुन्दर खेल नंदगाँव में खेले थे। उसी प्रकार श्री राधा जी भी अपनी प्रिय सखियों के साथ बरसाने में खेल खेली थी। श्री जी मंदिर के सामने एक विशालकाय प्रागण है। यहाँ हर साल होली खेल के कीर्तन, झुलन कीर्तन, मधुमंगल के खेल अनुष्ठान होते रहते है।
होली एक खेल के जैसा होता है। जिस प्रकार हम खेल खेलते है। उस ही प्रकार से इस खेल में दो दल होते है। दोनों दलों के हाथ में गुलाल एवं रंग भरी पिचकारी होती है। एक दल दूसरे दल पर रंग फेकते है। तब दूसरा दल पहले दल पर जबरदस्त तरीके से रंग फेकता है। आपस में खेले गये इस खेल को ही होली कहते है। यह खेल सर्वप्रथम श्री राधा कृष्ण एवं उनके सखाओं और सखियों के बीच खेला गया था। अब इस खेल को हम लोग खेलते है। बरसाने की होली सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। फागुन महीने के शुक्ल पछ नवमी तिथि में यह खेल होता है। बरसाने की होली देखने के लिये बहुत अधिक संख्या में लोग आते है। उसी दिन साये नंदगांव से आये होली की मतवाले ग्वालों के साथ बरसाने की गोपिया लठमार होली खेलती है। यह होली बड़ी ही प्रसिद्ध है। इसके दूसरे दिन यहाँ के गोप नंदगांव में जाकर फिर से नंदगाँव की गोपियों के साथ लठमार होली खेलते है। यह खेल बरसाने की जिस गली में खेला जाता है। उस गली को रंगीली गली कहते है। यह खेल इतना आकर्षक है। जो लोग एक बार इस खेल को देख लेते है। वह दुबारा इस खेल को देखने के लिए लालायित रहते है।
श्री राधा रानी बरसाना मंदिर का समय(Barsana temple timings):-
प्रातःकाल : 05:00 प्रातः से 02:00 प्रातः संध्याकाल : 05:00 संध्या से 09:00 संध्या
लड्डू होली(ladoo holi):-
लड्डू होली बरसाने में मनाई जाएगी अगर जा सके तो जरूर जाये और इस अद्भुत पल को महसूस करे और देखे।
लठमार होली(lathmar holi) :-
लठमार होली बरसाने में मनाई जाएगी अगर जा सके तो जरूर जाये और इस अद्भुत पल को महसूस करे और देखे।
नंदगाव होली :-
नंदगाव होली बरसाने में मनाई जाएगी अगर जा सके तो जरूर जाये और इस अद्भुत पल को महसूस करे और देखे।
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