एक जगह जहां हवाओ में प्यार(love) और राधा नाम की महिमा(glories) हर जगह है।
वृंदावन ब्रह्माण्ड का केंद्र माना जाता है ये बहुत ही पावन पवित्र स्थान है वृंदा + वन (तुलसी का वन ) जब नाम में इतनी पावित्रता है तो सोचिये खुद वृन्दावन कितना अद्भुत है वृन्दावन(vrindavan) के कण कण में प्रेम(love) और अध्यातम की मंद मंद हवाये बहती है जो कृष्ण मुरारी मेरे बांके बिहारी राधा रानी से होते हुए हम तक पहुँचती है और हमारे मन तन को पावन पवित्र और प्रेम मई बना जाती है
वृन्दावन जहा अहंकार का कोई स्थान नहीं है यहाँ भक्ति(प्रेम-love ) का अद्भुत संगम है यहाँ आकर मन की स्तिथि विचित्र हो जाती है रोम रोम हर्ष उल्लास से खिल जाता है जिस आनंद ख़ुशी के लिए हम सभी भटकते है वो यहाँ की पावन रज को स्पर्श करने मात्र से ही हमें मिल जाता है और हम ख़ुशी से खिल उठते है
मैंने खुद महसूस किया है जिस कृष्णा मेरे बांके बिहारी जी का दर्शन करने हम जाते है या यु कहे जिनसे हम मिलने जाते है वो खुद हमसे मिलने को बेचैन रहते है और छुप छुप कर हमें देखते है इस अद्भुत दृश्य को महसूस करने के लिए इस दिल में बस उस नटखट नन्द किशोर उस बिहारी जी के लिए प्रेम भक्ति का एक बूँद ही काफी है
आये जाने वृन्दावन के बारे में
वृन्दावन(vrindavan) भक्ति(प्रेम ) और आध्यात्मिक तीर्थ स्थल की भूमि है वृन्दावन युगो युगो से अपने अंदर कितने आध्यात्मिक चमत्कारों को समेटे बैठा है यह कृष्ण की लीलास्थली है। हरिवंश पुराण, श्रीमद्भागवत, विष्णु पुराण आदि में वृन्दावन की महिमा का वर्णन किया गया है। कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर लालन-पालन वृंदावन में। लिहाजा यहां हर ओर कृष्ण समाए हुए हैं। हर ओर राधे-राधे है। हर ओर रसपूर्ण भक्तिभाव की यमुना है। जिस तरह गंगा उत्तर भारत के तमाम पवित्र स्थानों की जीवनदायिनी है, उसी तरह यहां यमुना जीवनदायिनी और पापनाशिनी है। माना जाता है कि यहां नहा लेने से आपके पाप नष्ट हो जाते हैं। वृन्दावन(vrindavan) मथुरा क्षेत्र में एक स्थान है जो भगवान कृष्ण की लीला से जुडा हुआ है। यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाललीलाओं का स्थान माना जाता है। यह मथुरा से १५ किमी कि दूरी पर है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिर की विशाल संख्या है। यहाँ स्थित बांके विहारी जी का मंदिर सबसे प्राचीन है।
वृंदावन वह जगह है जहां भगवान कृष्ण का बचपन गुजरा। जहां उन्होंने गोपियों संग रास किया। कृष्ण भारत में आनंद के भगवान भी हैं और जीवन में उमंग लाने वाले भगवान भी। यही कारण है कि वृंदावन में प्रवेश करते ही यहां के कण-कण में भक्ति और प्रेम का अहसास होने लगता है…
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ब्रज का हृदय
वृन्दावन(vrindavan) का नाम आते ही मन पुलकित हो उठता है। योगेश्वर श्री कृष्ण की मनभावन मूर्ति आँखों के सामने आ जाती है। उनकी दिव्य आलौकिक लीलाओं की कल्पना से ही मन भक्ति और श्रद्धा से नतमस्तक हो जाता है। वृन्दावन को ब्रज का हृदय कहते है जहाँ श्री राधाकृष्ण ने अपनी दिव्य लीलाएँ की हैं। इस पावन भूमि को पृथ्वी का अति उत्तम तथा परम गुप्त भाग कहा गया है। पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है। इसी कारण से यह अनादि काल से भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है। यहाँ आनन्दप्रद युगलकिशोर श्रीकृष्ण एवं श्रीराधा की अद्भुत नित्य विहार लीला होती रहती है।
वृंदावन की हवाओं
वृंदावन की हवाओं में कुछ अलग-सा कृष्णमय संगीत है, मानो वह अब भी राधे-राधे की माला जप रही हों। दिल्ली से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर वृंदावन आना एक अलग अनुभव है। ऐसा अनुभव, जिस शब्दों में बांधना आसान भी नहीं। यहां जिस भी ओर जाएंगे, कृष्ण की भक्ति भावना में लीन मंदिरों और साधारण से आलीशान आश्रम पाएंगे। देश-विदेश के कृष्ण भक्तों की भीड़ पाएंगे। वृंदावन विधवाओं की भी नगरी बनती जा रही है, जो वैधव्य के बाद कृष्ण के चरणों में जीवन बिताने के लिए इस शहर का रुख करती हैं।
चारो तरफ राधा कृष्णा धुन
कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ। फिर लालन-पालन वृंदावन में। लिहाजा यहां हर ओर कृष्ण समाए हुए हैं। हर ओर राधे-राधे है। हर ओर रसपूर्ण भक्तिभाव की यमुना है। जिस तरह गंगा उत्तर भारत के तमाम पवित्र स्थानों की जीवनदायिनी है, उसी तरह यहां यमुना जीवनदायिनी और पापनाशिनी है। माना जाता है कि यहां नहा लेने से आपके पाप नष्ट हो जाते हैं।
वास्तविक वृंदावन
माना जाता है कि असली वृंदावन समय के साथ लुप्त हो गया था। साथ ही लीला स्थलियां भी। जहा पर चारो तरफ बन ही बन था हर तरफ हरयाली थी वर्तमान वृंदावन का स्वरुप अब बदल गया है पर कृष्णा की लीलाये आज भी हर पल होती रहती है जो की अद्भुत है बस देखने के लिए विश्वास और श्रद्धा की जरूरत है
कहते है जब माया का पर्दा हमारी आँखों पे से हठ जाता हैतो वो नटखट कृष्णा मुरली बजता नज़र आ जाता है
वृन्दावन में कई प्रसिद्द ऐतिहासिक मंदिर और ऐतिहासिक जगह और कई संतो और भक्तो की भी निवास स्थली है