यमुना नदी (Yamuna River)

यमुना नदी (Yamuna River)

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Description

[social_warfare]ऐतिहासिक -आध्यात्मिक यमुना नदी (Yamuna River)

उदगम स्रोत(Origin Source) – यमुनोत्री लंबाई(length) – 1,376 कि.मी नदी मुख(Mouth of a River) – त्रिवेणी संगम, इलाहाबाद यमुना एक पवित्र नदी है। भारत की सबसे पवित्र और प्राचीन नदियों में यमुना का स्मरण गंगा के साथ ही किया जाता है। यमुना नदी(yamuna river), गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो यमुनोत्री नामक जगह से निकलती है और इलाहाबाद में गंगा तथा सरस्वती नदी से मिल जाती है। यमुना केवल नदी नहीं है। इसकी परंपरा में प्रेरणा, जीवन और दिव्य भाव समाहित है। यमुना नदी का वर्णन ऋग्वेद में कई जगह पर दिखाई देता है। यमुना नदी यह उत्तर भारत की नदी है और इसका स्थान गंगा नदी के बराबर का है। यमुना गंगा की बहन है। यमुना के तीर पर श्रीकृष्ण की लीला, श्रीकृष्ण का बचपना गुज़रा है। यमुना नदी(yamuna river) को ” कृष्णप्रिया ” के नाम से ही पुकारते है।

यमुना नदी का उद्गम (Origin of Yamuna River):-

यमुना नदी का उद्गम टिहरी गढ़वाल जिल्हे के “यमुनोत्री” से हुआ है। उद्गम स्थल देखने के लिए वहा पर पहुचान बहुत ही कठिन है क्यों की बर्फ बहुत रहता है। यमुनोत्री जाए बिना उस क्षेत्र की तीर्थयात्रा अधूरी मानी जाती है। समानांतर बहते हुए यह नदी प्रयाग में गंगा में मिल जाती है। हिमालय पर इसके उद्गम के पास एक चोटी का नाम बन्दरपुच्छ है। गढ़वाल क्षेत्र की यह सबसे बड़ी चो़टी है, करीब 6500 मीटर ऊंची। सबसे बड़ी चो़टी को सुमेरु भी कहते हैं। इसके एक भाग का नाम ‘कलिंद’ है। यहीं से यमुना निकलती है। इसीलिए यमुना का नाम ‘कलिंदजा‘ और कालिंदी भी है। दोनों का मतलब ‘कलिंद की बेटी’ होता है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं से अप्रकट रूप से बहती हुई पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तेज गति  से उतरती हुई इसकी धारा दूर तक दौड़ती बहती चली जाती है। ऊंचे आकाश से देखें तो लगेगा कि कोई दैवी सत्ता तेजी से दौड़ती हुई अपने पीछे श्वेतश्याम धारा के चिह्न छोडती जा रही है। श्रद्धालुजन इसके किनारे बसे तीर्थों के साथ सीधे यमुनोत्तरी ही पहुंचते रहते हैं।

यमुना नदी की संस्कृति (Culture of Yamuna River):-

यमुना नदी के पवित्रता की भावना आज के युग में भी कम नहीं हुई है। कवियों भक्त और विशेषतया वल्लभ मार्गी कवियों ने यमुना के प्रति भावभरे आध्यत्मिक गीत गाए हैं।  जो घर-घर गूंजते हैं। ब्रज में यमुना पूरे आध्यत्मिक वैभव  के साथ प्रकट हुई है। मथुरा में यमुना के 24 घाट हैं। ब्रज में यमुना का महत्त्व वही है जो शरीर में आत्मा का। यमुना के बिना ब्रज की संस्कृति का कोई महत्त्व ही नहीं है। ब्रजभाषा के भक्त कवियों और विशेषतया वल्लभ सम्प्रदायी कवियों ने गिरिराज गोवर्धन की भाँति यमुना के प्रति भी अतिशय श्रद्धा व्यक्त की है। इस सम्प्रदाय का शायद ही कोई कवि हो, जिसने अपनी यमुना के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित न की हो।

यमुना नदी की रहस्यमय कहानी (The mysterious story of Yamuna River):-

यमुना को यमराज की बहन माना गया है। दोनों का स्वरूप काला बताया जाता है जबकि दोनों ही परम तेजस्वी सूर्य की संतान है। कहते हैं कि सूर्य की एक पत्नी छाया थी। संज्ञा देवी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बन कर रहने लगीं। छाया दिखने में श्यामल थी।  इसी वजह से उनकी संतान यमराज और यमुना भी श्याम वर्ण पैदा हुए। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनीचर का जन्म हुआ। इधर छाया का ‘यम’ तथा ‘यमुना’ से विमाता सा व्यवहार होने लगा। इससे खिन्न होकर यमराज ने अपने लिए नई नगरी का निर्माण किया जिसका नाम है यमपुरी और इस यमपुरी में पापिओं को दंड देनेका कार्य किया जाता है यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि यमुना में स्नान करने वाला व्यक्ति को यमलोक नहीं जाना पड़ेगा। संवत्सर शुरु होने के छह दिन बाद यमुना अपने भाई को छोड़ कर धरा धाम पर आ गई थी। कृष्णावतार के समय भी कहते हैं यमुना वहीं थी।

कृष्ण की चौथी पटरानी यमुना जी:-

श्रीकृष्ण भगवान की चौथी पटरानी श्री यमुना जी है। जिन्हें कृष्ण भक्त कालिंदी के नाम से भी पुकारते है। यमुना प्रत्यक्ष रूप से भगवान कृष्ण से संबंधित है। जन्म से लेकर किशोरावस्था तक भगवान श्रीकृष्ण ने अधिकतर लीलायें यमुना किनारे ही की थी। कृष्ण के स्पर्श से हुआ बहाव कम श्रीकृष्ण के जन्म के समय उनकी रक्षा के लिए वसुदेव कृष्ण को गोकुल ले जा रहे थे तब यमुना तेज गति से बह रही थी৷ परन्तु श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श कर वह शांत हो गई और सामान्य गति में बहने लगी৷ यमुना में भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ स्नान किया करते थे৷ वह अपनी गायो को भी यमुना में स्नान कराया करते थे৷ जिस यमुना घाट पर भगवान कृष्ण ने गोपियों के वस्त्र चुराये थे वह “चीर-घाट” नाम से प्रसिद्ध है৷

भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है৷:-

स्नान के लिए “केसी-घाट” महत्वपूर्ण है, भगवान कृष्ण ने केसी नामक असुर को मारने के पश्चात यहां पर स्नान किया था৷ केसरी घाट पर यमुना का प्रवाह काफी अच्छा है৷ वारह पुराण के अनुसार गंगा और यमुना के जल में कोई अन्तर नही है, दोनो ही एक समान है৷ यमुना में स्नान से भक्तो को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है৷ यमुना में स्नान से व्यक्ति की कष्ट बधाये दूर हो जाती है৷

यमुना पूजा के लिए मंत्र : –

  • यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते।
          वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥ 
  • ऊँ नमो भगवत्‍यै कलिन्‍दनन्दिन्‍यै सूर्यकन्‍यकायै यम‍भगिन्‍यै श्रीकृष्‍णप्रियायै यूथीभूतायै स्‍वाहा।’
  • ऊँ हीं श्रीं, क्‍लीं कालिन्द्यै देव्‍यै नम:’

माँ यमुना का मंदिर (various temples of maa Yamuna):-

  • यमुनोत्री मंदिर (Yamunotri Temple)- Barkot – Yamunotri Rd, Banas, Uttarakhand
  • यमुना(Yamuna Temple)- Mathura Vrindavan

यमुना माँ की आराधना :-

“यमुना” नदी के बारे में कुछ रोचक तथ्य :-

  1. इस नदी को जमुना के नाम से भी जाना जाता है।
  2. इसका स्रोत दक्षिणी हिमालय में यमुनोत्री ग्लेशियर है।
  3. नदी पूर्वी और पश्चिमी यमुना नहरों में टूट जाती है।
  4.  यह नदी भी काफी हद तक गंगा से ही मिलती है।
  5. कचरे का एक बड़ा हिस्सा नदी में डाला जाता है, जिससे यह दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है।
  6. यमुना भारी प्रदूषित है, खासकर नई दिल्ली के आसपास।
  7. सफाई के उपाय किए गए हैं; कचरे को हटाने और पानी को शुद्ध करने के लिए योजनाएं भी हैं।
  8. यमुना प्राचीन अतीत में घग्गर की एक सहायक नदी थी, जिसमें बदलाव से पहले उसकी हरकतों को बदल दिया गया था।
  9. यह अब गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  10. आगरा इस नदी के किनारे है और इसे ताजमहल से देखा जा सकता है।
  11. यमुना नदी अपने आप में ऐतिहासिक अस्तित्व से परिपूर्ण है

वर्तमान स्थिति यमुना नदी की :-

वर्तमान स्थिति यमुना नदी की बिकुल ठीक नहीं है। ये नदी अब सबसे जायदा प्रदूषित हो चुकी है उसकी वजय हम सभी है। जिसका संबंध हमारे शास्त्रों ,ग्रंथो  और आध्यत्मिक छवि से है जो भारतीय संस्कृति की अनमोल देन है। उसका मोल आज हम सभी भूल चुके है। वक़्त रहते हमे जागना होगा नहीं तो भावी पीढ़िया शायद यमुना नदी को पहचाने भी ना और उसके वास्तविक सवरूप को जान भी न पाए। प्रसिद्ध यमुना नदी(yamuna river) हमारी विरासत (hamari virasat) में से एक है। जो न जाने जाने कई साल से इस देश की विरासत के रूप में शोभा बढ़ा रहा है।  हमारी छोटी से कोशिश है की नयी पीढ़ी और आने वाली भविष्य की युवा पीढ़ी भी जान सके।  जो जगह जो हमारे शास्त्र में जिनकी उपस्थिति मिलती है। ये सभी स्थान भगवान के काल से जुडी हुए है। और कितनी ही अद्भुत है। इन जगह पे पहुंच कर आपको एक अलग ही सकरात्मक शक्ति महसूस होगी।

हमें क्यों इन आध्यात्मिक स्थान पे जाना चाहिए ?

कहते है हर जगह की एक अपनी तरंग होती है। एक आध्यात्मिक शक्तियों की आराधना होती है।  जंहा जाकर वो शक्तियां हमें महसूस होती है और उनका प्रवेश हमारे  अंदर होता है। जिससे हमारे अंदर की बुराइया निकलती है। और हम अपने अशांत जीवन को शांत बनाते है।

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