
भगवान हनुमान: एक दिव्य चरित्र कौन है हनुमान जी? जाने हनुमान जी के बारे में 108 भगवान हनुमान की अष्टोत्तर शतनामावली
भगवान हनुमान हिन्दु धर्म में पूजे जाने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण देवताओं में से एक हैं। हनुमान जी को भगवान राम के अनन्य भक्त के रूप में जाना जाता है। वह हिन्दु महाकाव्य रामायण के प्रमुख पात्र हैं। हनुमान जी इस पृथ्वी पर सदा-सर्वदा अमर रहने वाले चिरञ्जीवियों में से एक हैं।
हनुमान जी की पूजा करने वालों को हनुमान भक्त के रूप में जाना जाता है। भगवान हनुमान को आजीवन ब्रह्मचारी माना जाता है। उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने तथा भगवान राम की अनन्य भक्ति करने का प्रण लिया था। अतः ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा लेने वाले भक्तों (विशेषतः पुरुषों) के मध्य हनुमान जी को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है।
हनुमान जी को महावीर, बजरंगबली, आञ्जनेय, पवनपुत्र, अञ्जनीपुत्र, केसरी नन्दन एवं मारुति आदि पवित्र नामों से भी जाना जाता है।

भगवान हनुमान का जन्मकाल:-
भगवान हनुमान, जिन्हें “बजरंगबली” और “रामदूत” के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और revered देवता हैं। वे भगवान राम के परम भक्त और उनके साथी हैं। हनुमान जी की अद्वितीय शक्ति, समर्पण और भक्ति के लिए उन्हें पूजा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार के दिन सूर्योदय उपरान्त हुआ था। उनका जन्म चित्रा नक्षत्र तथा मेष लग्न में हुआ था।
हनुमान जी का जन्म और उत्पत्ति
भगवान हनुमान का जन्म “पवन देव” (वायु देवता) और “अंजना” नाम की एक अप्सरा से हुआ था। उनकी माता अंजना ने उन्हें भगवान शिव का अवतार माना, और इसलिए हनुमान जी को “मारुति” और “पवनसुत” के नामों से भी जाना जाता है।
हनुमान कुटुम्ब
हनुमान जी माता अञ्जना एवं वानरराज केसरी के पुत्र हैं। उन्हें वायुदेव के पुत्र के रूप में भी वर्णित किया गया है।
भगवान हनुमान आजीवन ब्रह्मचारी हैं। हनुमान जी ने अपना समस्त जीवन भगवान राम की सेवा में समर्पित कर दिया तथा उन्होंने कभी विवाह नहीं किया।
हनुमान स्वरूप वर्णन
भगवान हनुमान का स्वरूप वानर के समान है। उन्हे लाल वर्ण वाला एवं वानर के सामान एक घुमावदार पूँछ के साथ चित्रित किया जाता है। उन्हें गदा धारण किये हुये दर्शाया जाता है।
हनुमान उत्सव एवं उपवास
- हनुमान जयन्ती
- तमिल हनुमान जयन्ती
- तेलुगु हनुमान जयन्ती
- कन्नड़ हनुमान व्रतम्
- दीवाली हनुमान पूजा
हनुमान मन्त्र
हनुमान जी का मूल मन्त्र –
ॐ श्री हनुमते नमः॥
मूल मन्त्र के अतिरिक्त भी अन्य हनुमान मन्त्र हैं, जिनका जाप हनुमान जी को प्रसन्न करने हेतु किया जाता है।
भगवान हनुमान पाठ एवं स्तोत्र
- हनुमान चालीसा
- सुन्दरकाण्ड
- बजरंग बाण
- हनुमान अष्टकम्
हनुमान चालीसा, सुन्दरकाण्ड, बजरंग बाण तथा हनुमान अष्टकम्, हनुमान जी की कृपा प्राप्ति हेतु किये जाने वाले सर्वाधिक लोकप्रिय पाठ हैं।
हनुमान अवतार एवं स्वरूप
पञ्चमुखी हनुमान स्वरूप, हनुमान जी के लोकप्रिय रूपों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान हनुमान ने महिरावण नामक दैत्य का संहार करने हेतु पञ्चमुखी अवतार धारण किया था। पञ्चमुखी अर्थात, हनुमान जी का पाँच मुखों वाला स्वरूप, इसमें उत्तर दिशा की ओर श्री वराह, दक्षिण दिशा की ओर श्री नृसिंह, पश्चिम दिशा की ओर श्री गरुड, आकाश की ओर श्री हयग्रीव तथा पूर्व दिशा की ओर स्वयं हनुमान जी का श्रीमुख होता है।
हनुमान देवालय
हनुमान जी को समर्पित सर्वाधिक लोकप्रिय मन्दिरों में कुछ निम्नलिखित हैं – (Hanuman Temples)
- संकटमोचन हनुमान मन्दिर, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
- सालासर बालाजी मन्दिर सालासर, राजस्थान
- हनुमान गढ़ी मन्दिर, अयोध्या, उत्तर प्रदेश
- बाल हनुमान मन्दिर जामनगर, गुजरात
- जाखू मन्दिर शिमला, हिमाचल प्रदेश
- मेहँदीपुर बालाजी मन्दिर, दौसा, राजस्थान
- अञ्जनेयस्वामी मन्दिर चेन्नई, तमिलनाडु
हनुमान जी की शक्तियाँ
- असाधारण बल: हनुमान जी के पास अपार शक्ति और बल है, जो उन्हें किसी भी बाधा को पार करने में सक्षम बनाता है।
- उड़ान क्षमता: वे उड़ने में सक्षम हैं, जिससे वे किसी भी स्थान पर शीघ्रता से पहुँच सकते हैं।
- अज्ञानता का नाशक: हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों के सभी संकट और दुख दूर होते हैं।
रामायण में हनुमान जी की भूमिका
हनुमान जी की प्रमुख भूमिका “रामायण” में देखने को मिलती है, जहां वे भगवान राम के साथ मिलकर माता सीता की खोज में निकलते हैं। उन्होंने रावण के खिलाफ युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राम के संदेश को फैलाने का कार्य किया।
हनुमान चालीसा
हनुमान जी की भक्ति में “हनुमान चालीसा” का पाठ बहुत लाभकारी माना जाता है। यह 40 छंदों में उनकी महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम है।
भगवान हनुमान की अष्टोत्तर शतनामावली (108):-> hanuman ji ke 108 naam
हनुमान जी की पूजा
हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को की जाती है। भक्त उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाते हैं और उनकी भक्ति में भजन-कीर्तन करते हैं। जय श्री राम! जय बजरंगबली!
श्री हनुमान यन्त्र

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