2021 वृन्दावन होली में एक भक्त श्री कृष्ण की सखी के साथ कुछ बहुत अद्भुत हुआ।

2021 वृन्दावन होली में एक भक्त श्री कृष्ण की सखी के साथ कुछ बहुत अद्भुत हुआ।

2021 वृन्दावन होली में एक भक्त श्री कृष्ण की सखी के साथ कुछ बहुत अद्भुत हुआ। उन्होंने अपनी ये कृपा जो साक्षात् श्री बांके बिहारी जी , श्री राधा रानी द्वारा उनपे हुई वो हमसे(हमारी विरासत वेबसाइट ) साँझा किया। उन्होंने नाम को गुप्त रखने को कहा है और साथ ही उन्होंने कहाँ वो ये बातें इस लिए साँझा कर रही है क्युकी दुनिया वालो के लिए ये तो शायद किसी काम की नहीं लेकिन एक भक्त के लिए हौसला और हिम्मत का काम करेगी। आगे वो कहती है ये कृपा जो मुझपे हुई है वो आपको यकीन दिलायेगी आप बिहारी जी से कुछ कह कर शायद भूल जाते होंगे। अपनी दुनिया में खो जाते होंगे लेकिन भगवान अपने भक्त की हर एक इच्छा को दिल से सुनते है और उसके भावो को समझते भी और स्वीकार भी करते है। युग कोई सभी क्यों न हो वो हम इंसानो पे प्रभाव डालता है, लेकिन भगवान की कृपा तो अनंत काल से समान रूप से हो रही है और होती रहेगी। खुद भी पढ़े और औरो भक्तो से भी शेयर करे।

18 मार्च 2021:-

न जाने कब से मेरे मन में श्री वृन्दावन धाम की होली उत्सव में जाने की दिल से इच्छा होती थी। हमेशा सोचती थी कभी न कभी मुझपे भी कृपा होगी और मैं साक्षात् युगल सरकार के साथ उनके धाम में होली खेलूँगी। लेकिन मेरे साथ जाने वाला कोई भी नहीं था। बचपन से ही मैंने श्री कृष्ण मेरे प्यारे बिहारी जी को अपना सखा और राधा रानी को अपनी सखी मान लिया था। उसके बाद में बड़ी तो हुई सबसे बातें, सबकी मदद की और व्यव्हार भी निभाया जैसा मेरे बिहारी जी ने चाहा। लेकिन श्री कृष्ण के अलावा अपना सखा किसी और को नहीं बना पायी ऐसा क्यों था पता नहीं। 18 मार्च 2021 की सुबह से ही न जाने क्यों ऐसा लगा जैसे वृन्दावन बिहारी मुझे अपनी और खींच रहे है बुला रहे है। लेकिन कोरोना की वजय से परिवार वाले भी बाहर जाने के लिए जल्दी से अनुमति नहीं देते। सब सपना जैसा था। और मेरा जाना असंभव था। फिर मैं सपने देखने लगी की मुझे कल वृन्दावन जाना है। सोचा कहाँ रुकूंगी , कैसे जाऊ ट्रेन या बस से।, मैं पहनूंगी क्या मुझे गोपियों की तरह कुछ पहनना है जिससे में श्री कृष्णा की प्यारी सखी जैसे दिख सकूँ।

मैं मन ही मन कहने लगी। मेरा तो कोई नहीं है मैं वृन्दावन में अगर आऊँ तो बिहारी जी आप और श्री राधा रानी किसी रूप में मेरे पास ही रहना। मैं आपको चाहे पहचान न पाऊ लेकिन आपका साथ थोड़े दिनों के लिए मिले। और मैं गोपियों की तरह वस्त्र खरीदूंगी जो राधा रानी आप किसी रूप में पसंद करवाना। और मुझे काली घटाये बहुत पसंद है वो श्री कृष्णा के श्याम वरन का दर्शन करवाती है। अगर हो सके तो मुझे काली घटा के भी दर्शन हो। ये सब सोचतें सोचते रात हो गयी। आरती और प्रार्थना- संध्या वंदन करने के बाद। मैंने घर पे बातें की क्या में जा सकती हूँ ? और अकेला वो लड़कियों को बाहर जाने के लिए जल्दी से कोई अनुमति कहा देता है। फिर मैंने बिहारी जी से कहाँ एक झूठ बोल सकती हूँ क्युकी मेरा जितना विश्वास आप पर है उतना औरो का नहीं -फिर मैंने कहा वहाँ पर और भी है जिन्हे मैं जानती हूँ तो कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहाँ वो जानते है कोई और नहीं है तुम अकेली जा रही हो पता है क्युकी मेरे घर वाले जानते थे मेरा कोई मित्र नहीं। उन्होंने कहा जाओ अपना ध्यान रखाना। फिर आधी रात को 1 बजे मैंने टिकट बनाई। और सुबह 7 बजे मुझे पहुंचना था और मैं किसी वजय से सुबह निकल नहीं पायी।

19 मार्च 2021:-

फिर मैं रोने लगी मैंने किसी से कुछ नहीं कहाँ और हिम्मत करके टिकट चेक किया और मुझे 2 की टिकट मिल गयी। और इस बार में बहुत पहले निकल गयी। और टाइम से स्टेशन पहुंच गयी। जब मथुरा पहुंचे। मुझे सब सपना सा लग रहा था। मेरा दिमाग कुछ समझ नहीं पा रहा था। मैं किसी तरीके से वृन्दावन पहुँची। और ये भी चमत्कार था जो मुझे धर्मशाला मिला वो भी बहुत शांतिपूर्ण था और उसके अंदर युगल सरकार का बहुत ही सुन्दर मंदिर थी। मेरे रूम के पास ही युगल सरकार का मंदिर था। फिर मैंने बिहारी जो को धन्यवाद कहाँ और उनके प्यार को बहुत करीब से महसूस किया। जैसा सबके साथ होता है मैंने घर पर क्या क्या बोला था बिहारी जी से राधा रानी से मैं वो सब भूल चुकी थी।

20 मार्च 2021:-

होली में तो बहुत भीड़ होती है जो भी अगर मेरे आस पास मिलता या जहाँ रुकी वो ये पूछ लेते थे अकेली आयी हो। अकेली कैसे जाओगी और ऊपर से कुंभ मेला भी था। लेकिन मुझे इन सवालो से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्युकी मेरे बिहारी जी मेरे साथ रहते है। रोज़ दर्शन करने जाती थी सच में अगर अपने वृन्दावन की होली नहीं देखि तो कुछ भी नहीं देखा। अकेली थी न किसी का रुक कर इंतज़ार करना पड़ता था न खोने का डर। बिहारी जा जब दर्शन ाकरने जाती तब इतनी भीड़ लेकिन कोई न कोई मुझे प्रोटेक्ट करने के लिए मेरे आगे और पीछे खड़े हो ही जाता था। कौन मुझे नहीं पता लेकिन मुझे सिर्फ ऐसा लगता था जैसे मेरे बिहारी जी भीड़ में भी मुझे भीड़ से बचाते थे।

21-22 मार्च 2021:-

इस दिन जब मैंने सोचा आज बिहारी जी को गुलाल जरूर लगाऊंगी वो कैसे पता नहीं। मैंने गुलाबी गुलाल ख़रीदा मंदिर के बाहर से लेकिन जब प्रवेश द्वार पे गयी तो देखा वहाँ सबके हाथो से गुलाल ले रहे थे। क्युकी जब तक राधा रानी होली नहीं खेलती बिहारी जी के मंदिर में उतना गुलाल नहीं खेला जाता। या पता नहीं क्या था शायद कोरोना की वजय से बिलकुल अंदर गुलाल नहीं ले जा सकते थे। मेरे आँखों में आँसू भर आये मैंने बहुत बहुत विनती किया लेकिन वो नहीं सुन रहे थे फिर जो चेकिंग कर रही थी महिला उनसे मैंने सिर्फ एक बार कहाँ उन्होंने कहा तुम हाथो में थोड़ा सा ले लो और बाकि मुझे दे दो। और मैंने वैसा ही किया। और आज पता चला वो सिर्फ मेरी राधा रानी का एक रूप थी जिसने मेरे भावो को पढ़ लिया। जब अंदर गयी भीड़ बहुत थी मेरे हाथो में गुलाल था कुछ ने देख लिया वो इशारे करने लगे मैंने कैसे कैसे करके उसे छुपाया। बहुत देर हो चुकी थी बिहारी जी के सामने पहुंचने में बहुत समय लगा।

अभी तक मैंने उनका दर्शन नहीं किया था। क्युकी भीड़ की वजय से धक्के लग रहे थे। कैसे करके उनके सामने तो पहुँच गयी लेकिन गुलाल कोई भी नहीं उड़ा रहा था बिहारी जी को ओर, मैंने अपने दोनों हाथों में गुलाल को लगाया और आँखें बंद करके रोने लगी। और कहने लगी मेरा है ही कौन सबकुछ आप में ही देखती हूँ। ये जो गुलाल है कैसे लगाऊ आपको। बस इसे ले लो ये आपके ही लिए है और आपके नाम का है। उसके बाद मैंने अपनी आँखें खोली तो आँखों में आँसूं भरे होने के कारण मुझे सब धुंधला नज़र आ रहा था और हाथो से आँखों को साफ़ भी नहीं कर सकती थी। और आँसू भी नहीं थम रहे थे। कैसे करके मैंने सब आँसू साफ़ किया। जब मेरी पलके उठी जो नज़ारा था वो बहुत ही अद्भुत था। मुझे अपनी आँखों पे यकीन नहीं हो रहा था। बिहारी जी के दोनों गालो पे गुलाबी गुलाल लगा था और उन्होंने वस्त्र भी गुलाबी पहने थे। मेरी मुस्कराहट उस आनंद से भरी थी जिसकी कोई सीमा नहीं थी। जानती हूँ बिहारी जी यूँ तो गुलाबी वस्त्र पहन कर गुलाल लगा कर पहले से बैठे होंगे। पर जो बिहारी जी से प्यार करते है उनको ये लीला समझ आ गयी हो होगी। उनकी इस कृपा को पा कर बस झूमती हुई मंदिर प्रांगण से बाहर आयी।

22 मार्च संध्या वेला में:-

संध्या वेला में 6 बजे के आस पास में धर्मशाला के छत पे गयी। तो वहाँ भी कमरे थे वहाँ पति -पत्नी का जोड़ा था जो किसी गांव से आये हुए थे। वो महिला मेरे पास आयी फिर वो वैसे कुछ पूछने लगी कुंभ मेला से संबंधित कुछ। फिर हम दोनों के बिच कुछ बातें हुई। फिर उन्होंने कहा वो कुछ खरीदने जा रही है परिवार में किसी के लिए तो मुझे भी चलने को कहाँ। वैसे इतनी जल्दी मैं किसी के साथ नहीं चलती। लेकिन पता नहीं क्या था बस दिल ने कहा थोड़ी दुरी पे तो जाना है साथ चल लेते है। उन्होंने कुछ ख़रीदा फिर मेरा ध्यान गोपियों की तरह वाले वस्त्रो पे गया। मैं भी दुपट्टा , और लहँगा कुछ ऐसा लेना चाहती थी जो गोपिया और राधा रानी पहनती थी। मैं देख रही थी फिर उन्होंने कहाँ आप भी कुछ ले लो। फिर मैंने बहुत समय लगया लेकिन उन्होंने मेरी मदद की और बहुत ही अच्छे वस्त्र पसंद करवाये। मैं भूल चुकी थी मैंने घर पे बिहारी जी से राधा रानी से क्या कहा था लेकिन मेरी ये विनती भी राधा रानी ने स्वीकार किया और किसी रूप में आकर वस्त्र पसंद करवाये। वरना मैं अकेली बाहर जाती भी नहीं कुछ खरीदने। उस वक़्त मुझे कुछ भी नहीं समझ आया क्युकी में सब भूल चुकी थी अपनी मस्ती आनंद में थी।

उसके बाद जब धर्मशाला पे पहुँची तो सोचा बिहारी जी की आरती का समय है बस आरती में चली जाती हूँ वैसे भी क्या करना है यहाँ खाली बैठ कर। फिर जब मैं बिहारी जी के लिए जा रही थी रास्ते में गलियों में एक बूढ़े बाबा मिले उन्होंने कहा बेटी यहाँ से क्यों जा रही हो। रास्ता लम्बा है देखो जो यहाँ के निवासी है उनको ब्रज गलियों के बारे में पता है वो वहाँ उस गली से जा रहे है तुम उनके पीछे पीछे चली जाओ। मैंने कहाँ आप कहा जा रहे है उन्होंने कहा उसी ओर मैंने कहाँ आप रास्ता दिखा दीजिये। फिर मैं उनके साथ मंदिर गयी आरती किया लेकिन पता नहीं वो बाबा कहाँ चले गए शायद भीड़ में आगे पीछे हो गए होंगे।

वृन्दावन में रात में मैं वैसे भी न जाने क्यों सो नहीं पाती वो तो पता नहीं या तो मैं नाम जप करती हूँ नहीं तो धाम में जो पुरे दिन मुझे पे कृपा हुई उसके बारे में चिंतन। फिर मैंने विचार किया मैं अच्छी भली बिहारी जी के मंदिर जा रही थी उन बाबा ने मुझे वो गली वो रास्ता क्यों दिखाया। जबकि उसमें ज्यादा फर्क नहीं था। बस ऐसा था जैसे किसी की आँखों के सामने से छिप कर किसी के पीछे से निकल जाओ बस कुछ ऐसी गली थी वो। बस यहीं चिंतन करते करते कुछ पढ़ते अमृतवेला का समय हो गया (4 -5 बजे ) सुबह का समय। आप जब भी वृन्दावन आये ये पल कभी न खोये। किसी भी खुली जगह आसमान के निचे बस आप बैठ जाये आपको जो महसूस होगा वो शब्दों में आप किसी से कह नहीं सकते। लेकिन आपके चेहरे पे एक अलग ही प्रसन्नता होगी।

23 मार्च 2021(बरसाने की होली):-

बरसाने की होली वाले दिन जितने भी लोग वृन्दावन में थे अधिकतर बरसाने की और जा रहे थे। सब झुण्ड में थे परिवार और दोस्तों के साथ थे। मेरा बहुत मन था बरसाने जा कर होली खेलना का मैं तैयार तो हो गयी गोपियों की तरह पूरा अच्छे से सज कर। लेकिन पता नहीं था जाउंगी कैसे और किसके साथ। धर्मशाला पे कुछ बूढ़ी माताएं आयी कीर्तन करने। उन्होंने मुझे बहुत प्यार से देखा और ये कहा बहुत सुन्दर लग रही हो बिलकुल गोपी की तरह (उन्होंने ब्रज भाषा में ये कहा था मुझे ब्रज भाषा आती नहीं लेकिन समझ आ जाती है। ) उन्होंने कहा लेकिन नए वस्त्र पहन कर कहा जा रही हो। बरसाने होली खेलने। वहाँ तो ये सारे वस्त्र रंगो से रंग जायेंगे। मैंने उनसे कहा रंग जाये इसलिए तो पहना है। और मैं उन्हे देखती रह गयी क्युकी अब तक मैंने किसी से कुछ कहा तो नहीं था। मन ही मन बातें कर रही थी। बस फिर मैंने बिहारी जी से कहा देखिये सबके साथ कोई न कोई जा रहा है सबने मुझे पहले ही डरा दिया है वहाँ बहुत भीड़ होगी अकेले जाना ठीक नहीं और भी बहुत कुछ। तो में आयी भी आपके साथ थी और बरसाने भी आपके साथ जाऊँगी बस अब चलो मुझे बरसाने लेकर चलो।

बरसाने की ओर:-

बस वो पल था पहली बार वृन्दावन की गलियों से पैदल नंगे पाव बरसाने के लिये होली खेलने निकली। अब वो पल था जब समझ नहीं आ रहा था जाऊ कैसे फिर कुछ देर बाद मेरे सामने एक ऑटो रुका उसपे पूरी फैमिली थी। 4 महिला 3 बच्चे और भी अन्य लोग। मैंने ऑटो को रुकवाया ऑटो वाले ने कहा ये पहले से ही फिक्स है तो उसमें से कुछ ने कहाँ हमें कोई परेशानी नहीं है आप पीछे बैठ जाओ हम सब भी बरसाने जा रहे। और इस तरीके से में बरसाने पहुंची। सच में इतनी भीड़ इतने भक्तो थे लाखो में। बहुत दूर पहले ही ऑटो को रोक दिया गया। फिर वो फैमिली के लोगो ने देखा मैं अकेली हूँ उनमें से एक माता ने मेरा हाथ कस कर थम लिया कहा हमारे साथ चलो वो सभी मुझे इतनी भीड़ में पूरी प्रोटेक्शन के साथ ले जा रहे थे कोई आगे से तो कुछ पीछे चल रहे थे। बाकी मैं बन कर ही गोपी गयी थी सबने बहुत रंग डाला उनको लगा मैं किसी आस पास गांव से आयी हूँ। मैं इतने ज्यादा रंगो में रंग गयी थी और गीली भी। सीढ़ियों पे कितनी मुश्किलों से ऊपर चढ़ी बस भीड़ इतनी थी आप एक कदम चलो फिर बहुत देर तक रुक कर रहना पड़ता था। जब राधा रानी के सामने आयी सबसे पहले राधा रानी के सामने से गुलाबी गुलाल ऐसे डाला गया। मुझे मौका ही नहीं मिला, जैसे मैंने अपना लाल गुलाल निकला उससे पहले ही राधा रानी की और से गोस्वामी जी लोगो ने लाल रंग इतना सारा डाल दिया। फिर गुलाब के फूल की पंखुड़िया। मानो जैसे सपना हो। उन माता ने कहा अब खुश हो तुम पूरी रंगी जा चुकी हो। अब चले मैंने कहा है बिल्कुल फिर सीढ़ियों से उतरना बहुत मुश्किल था। 1 घंटे लगे सीढ़ियों से उतरने में लेकिन उन माता ने मेरा एक बार भी हाथ नहीं छोड़ा और भी बहुत सारी कृपा।

हो जो मुश्किलों में तो हमें कौन बचाता है,
बिहारी जी मुझको तुम जैसा कोई और न नज़र आता है।

बस मेरी एक और इच्छा जो मैंने बिहारी जी से राधा रानी से कही थी जिसे मैं भूल गयी थी वो पूरी होने वाली थी। वो है काली घटाए। जब में लौट रही थी अचानक से अँधिया चलने लगी फिर मौसम बिल्कुल बदलने लगा। अँधियो के बाद जोर जोर से ठंडी हवाएं चलने लगी फिर काले काले बादल छा गये। बस ऐसा लग रहा था जैसे मैं खुली आँखों से सपना देख रही हूँ। बस बहुत ही ख़ामोशी से में सब देख रही थी। और ऑटो में पीछे बैठे होने की वजय से सब कुछ बहुत अच्छा और साफ़ दिख रहा था। बस जब वृन्दावन में पहुंची तो काली घटाओ के साथ हल्की हल्की सी बारिश। जो भी उस दिन बरसाने गए होंगे उन्होंने भी ये सब देखा होगा महसूस जरूर किया होगा।

बिहारी जी से भावो का जुड़ाव बहुत जरुरी है। उन्हें किसी वस्तु से प्रसन्न नहीं किया जा सकता। लेकिन प्रेम, और भाव भरी भक्ति उनको बहुत पसंद है। 23 मार्च को ही घर पे किसी परेशानियों की वजह से मुझे वापस आने के लिए बोला गया। और मैंने टिकट 24 मार्च का बना लिया लेकिन वो वेटिंग था और 24 को पता चला वो क्लियर नहीं हो पाया। तो मेरा जाना कैंसिल हो गया। मुझे क्या पता था और क्या क्या सोचा हुआ था बिहारी जी ने मेरे लिए। आगे क्या हुआ बताती हूँ।

24 मार्च 2021 कृपा भरा दिन:-

24 मार्च का आधा दिन तो मेरा जाना है नहीं जाना इस कारण से ही निकल गया। फिर जब पता चल गया नहीं जाना है तो मैं बहुत खुश हुई क्युकी ये मेरी नहीं बिहारी जी की इच्छा थी। फिर मैं दर्शन करने गयी। बिहारी जी के वहाँ होली खेली जा रही थी। इसलिए रास्ते बंद कर दिए गए थे कोई और रास्ता खोला गया था। जो की बहुत ही लम्बा था। जब आप अकेले होते हो और कुछ पता न हो तो मन बहुत जल्दी घबड़ा जाता है। लेकिन मैं जब भी वृन्दावन आती हूँ ऐसा मानती ही नहीं में अकेली हूँ युगल सरकार को हमेशा साथ लेकर चलती हूँ। फिर भी मेरी आंखें नम हो गयी वस्त्र भी गोपियों वाले थे मैं उससे उठा उठा कर चल रही थी। तो मेरे लिए बहुत मुश्किल था। फिर मैंने अपनी आंखें बंद की सोचा क्या करू अब फिर याद आयी मुझे उस दिन की बात जब वो बाबा मुझे उस गोपनीय ब्रज गलियों से ले गए थे जो मैं नहीं जानती थी। फिर मैंने बिहारी जी को उस दिन लिए धनयवाद कहा उस दिन के सवालों का जवाब मुझे आज मिला। फिर मैं चली तो गयी लेकिन पुलिस कर्मचारियों की चेकिंग थी। थोड़ी थोड़ी दुरी पे और उस रास्तें पे में अकेली चल रही थी। उन्होंने रोका कहा आप यहाँ कैसे आयी। किसी ने रोका नहीं मैंने कहा प्लीज आप मुझे जाने दे। उन्होंने कहा वो ऐसा नहीं कर सकते है। मैंने कितनी विनती की मैं वापस नहीं जा सकती। उन्होंने गलती से हां कह दिया। फिर जाने दिया। इतना ही नहीं आगे 2 चेकिंग थी ये मैं ब्रज गलियों की बातें कर रही हूँ मंदिर तो दूर था। पुलिस कर्मचारि ने मुझे रोका और कहा सर ने आपको कैसे आने दिया। फिर उनके पास फ़ोन आया उसे जाने दो। फिर क्या था मैंने ४ चेकिंग को बिहारी जी की कृपा से पार कर लिया और मंदिर में दर्शन किया होली भी खेली।

बिहारी जी के मंदिर में दर्शन करके जब मैंने सर झुकाया तो गोस्वामी जी ने दूर से माला फेंकी वो मेरे गले में आकर गिरी। ऐसा ही कुछ स्नेह बिहारी जी मंदिर में हुआ। मेरे लिए तो ये भी बहुत बड़ी कृपा है युगल रूप से आशीर्वाद। और भी कुछ ऐसी कृपा हुए मैं बता नहीं सकती।


जब आप पूर्ण समर्पण कर देते है बिहारी जी को। की आपका कोई नहीं बस आप उनके भरोसे है और अपना काम करते जाते है। तब वो भी आपके इस विश्वास को टूटने नहीं देते। कहते है प्रेम और विश्वास तो आपके दिल से स्वयं प्रकट होते है। न ही प्रेम की बातें करने से प्रेम को आप महसूस कर सकते है और न ही किसी और के विश्वास को देख कर विश्वास जगा सकते हो। विश्वास के उस आनंद को महसूस करना है तो आपको खुद उस सफर पे निकलना पड़ेगा। गुरु भी आपको विश्वास भरे शब्द बोल सकते है राह दिखा सकते है लेकिन उसको दिल में उतारना तो आपको पड़ेगा। और उस सफर पे आपको खुद निकलना पड़ेगा।

25 मार्च 2021:-

इस बार मेरा टिकट कन्फर्म था। मेरे मन में एक बात चल रही थी कुंभ के समय में आयी हूँ होली भी है। वृन्दावन के कुंभ का मैंने एक बार दर्शन भी नहीं किये और यमुना जी में स्नान भी नहीं किया। सुबह 4 बज रहे थे एकादशी का दिन था हर एकादशी को मेरा व्रत रहता है। उस दिन भी था। मैं धर्मशाला के बाहर बैठी थी। सभी लोग झुंड में यमुना जी की ओर जा रहे थे। क्युकी उस दिन यमुना जी में स्नान करके सभी वृन्दावन की परिक्रमा लगाते है। मैंने पूछा धर्मशाला में क्या में भी जा सकती हूँ तो उन्होंने कहा तुम अकेली हो कुंभ का समय है वहाँ भीड़ भी होती है कहा तुम अपना समान रखोगी और कैसे यमुना जी में स्नान करोगी। फिर मैंने मन ही मन कहा हे बिहारी जी क्या कुछ नहीं हो सकता आपके भरोसे पे आयी हूँ। अब क्या करुँ। उसी वक़्त बाहर से कुछ लोग आये धर्मशाला पे अपना सामान रखने। वो फैमिली थी उन्होंने कहा हमे सामान रख कर यमुना जी में स्नान करके परिक्रमा लगानी है। तो कुछ टाइम बताया उन्होंने। फिर उन बाबा ने तुरंत कहा आप इसको भी साथ ले जाइये। इसके साथ कोई नहीं उनके अंकल ऑन्टी के साथ उनकी एक बेटी थी। वो मान गये फिर क्या था कुंभ के दर्शन भी हुए मुझे और यमुना जी में स्नान भी किया। फिर धर्मशाला हम सभी लौट आये। अभी सुबह के 6 ही बजे थे। फिर वो लोग वृन्दावन की परिक्रमा के लिए जा रहे थे उन्होंने मुझसे पूछ बेटा आप भी चलोगी। मैंने कहा मेरे ट्रैन का टिकट है 11 बजे का मुझे वापस जाना है। उन्होंने कहा कोई बात नहीं तब तक परिक्रमा पूरी लग जाएगी। और परिक्रमा मार्ग पे जब आयी बहुत भीड़। जिन लोगो ने भी 25 मार्च एकदशी तिथि को परिक्रमा लगायी होगी उनको पता होगा। पुरे रास्तें पैरों के निचे गुलाल की मोटी चादर और भक्तो की भीड़ इतनी की आप एक कदम भी चलना बहुत मुश्किल था। लेकिन कभी वो अंकल मेरा हाथ पकड़ कर चलते तो कभी ऑन्टी उन्होंने मेरा हाथ नहीं छोड़ा। और पूरी परिक्रमा समय से लग गयी।

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संदेश:-

ऊपर मैंने जो भी आपसे शेयर किया इन सभी का अनुभव मुझे 2 महीने बाद हुआ जब मैंने चिंतन किया वो कितनी कृपा करते है. हम सब भूल जाते है। वो जरुरी नहीं आपसे उस रूप में मिले जिस रूप में आप उनके दर्शन करते है। वो किसी भी रूप में आ जाते है। मैं कोई भक्त नहीं हूँ लेकिन मैंने जो शेयर किया है वो एक भक्त को हिम्मंत और हौसला देगा। वो जिस राह पे है बने रहे सच्चे भाव से।

आज सब कुछ इतना मॉडर्न होता जा रहा है। कि अधिकतर लोग भगवान की सत्ता को नकार देते है। लेकिन जो वैष्णव है या जो भी भक्त है वो दुनिया का काम जरूर करते है लेकिन सच्चा भरोसा सिर्फ अपने भगवान पे करते है। उनका विश्वास तो सिर्फ गुरु और गोविंद ही है। मैंने कोई गुरु मंत्र नहीं लिया हुआ हाँ जिनमें मैंने गुरु रुपी प्रकाश देखा है उनकी कहीं बातो को जीवन में उतारती हूँ। मेरे गुरु देव मेरे सर पे अपना हाथ कब रखेंगे पता नहीं। लेकिन जो गुरु मंत्र जपते है या जिनका विश्वास बिहारी जी है। तो आप पूरी श्रद्धा और निस्वार्थ भाव से आगे बढिये। वो सब सुनते है वो सब समझते है कभी जल्दी तो कभी देर से। पूरी दुनिया आपको ठुकरा सकती है। लेकिन आपके प्रभु कभी नहीं। बिहारी जी का साथ अनुभव कीजिये। भक्ति कभी दिखावा न बने इस बात का ध्यान रहे। जानती हूँ बहुत भक्तो के साथ बहुत कुछ ऐसा होता है, बिहारी जी की लीला जो वो अपने दिल में छुपा कर रखते है। और सही भी है। मैंने ये सब इस लिए साँझा किया की अपने विश्वास को और बढ़ाये वो हरपाल आपके साथ है। अपनी सारी बातें उनसे कीजिये। बस उनसे संसार को मत मांगिये संसार में कोई सार नहीं। सार किस्में है वो आप खुद इस पथ पे चलते चलते जान जायेंगे।
श्री राधे

हाँ जो शेयर किया गया है वो एक भक्त के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित है। कृप्या इसका सम्मान जरूर करे। जिन्होंने ये शेयर किया उनको धन्यवाद उनकी भक्ति बढ़ती रहे। अगर आप भी कुछ शेयर करना चाहते है तो शेयर कर सकते है आपका नाम गोपनीय रखा जायेगा। बहुत जल्द हमारी विरासत और भी सत्य घटनाओं पर आधारित कहानियों को पोस्ट करेगा। आप सबका का दिल से धन्यवाद् अपने भावो को शेयर करने के लिए। Mail Id:-hamarivirasatt@gmail.com

  • Prachi Gupta

    Prachi Gupta

    नवम्बर 9, 2021

    Hare Krishna …. thanks a lot for sharing ur lovely nd inspiring experience.

    • hamari virasat

      hamari virasat

      नवम्बर 22, 2021

      jai jai shri Radhe…Hare Krishna

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