क्यों वृंदावन और मथुरा में फुलेरा दूज(phulera dooj) के दिन फूल होली खेलीं जाती है ?
फुलेरा दूज इस दिन वृंदावन और मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में विशेष उत्सव
फुलैरा दूज बहुत ही खास दिन होता है। फाल्गुन महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ‘फुलेरा दूज’ मनाई जाती है। फुलैरा दूज(phulera dooj) फाल्गुन मास का सबसे पवित्र और शुभ दिन माना जाता है। भले ही इसे शहरों में नहीं मनाते हों, लेकिन उत्तर भारत में गांवों में आज भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।इस दिन अबूझ मुहूर्त बनता है यानी बिना पत्रा देखें इस दिन पर कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।यानी इस दिन का हर क्षण शुभ होता है। इसलिए कोई भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती। फुलैरा दूज(phulera dooj) से ही होली के उत्सव की शुरुआत हो जाती है। इस बार फुलैरा दूज 8 मार्च 2019 को है।वृंदावन और मथुरा में फुलेरा दूज(phulera dooj) के दिन श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है:-
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। लोग फूलों की होली खेलती हैं। फुलैरा दूज खासतौर पर उत्तर भारत में विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में बड़े जोश और उमंग के साथ मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। इस दिन सभी मंदिरों को तरह-तरह के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और फूलों की होली खेली जाती है। इस दिन राधा-कृष्ण की करें पूजा , जीवन में होगी प्रेम की वर्षा .फुलेरा दूज (phulera dooj) का महत्व:-
- वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है।
- फुलेरा दूज वर्ष का अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं.
- फुलेरा दूज में मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है।
- जिनकी कुंडली में प्रेम का अभाव हो, उन्हें इस दिन राधा-कृष्ण की पूजा करनी चाहिए।
- वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए भी इस दिन पूजा की जाती है।
- फुलैरा दूज से ही होली के रंग में सराबोर होने का दिन शुरू हो जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि इस दिन राधा कृष्ण की पूजा करने से सारी मनोकानाएं पूरी हो जाती है।
- राधे-कृष्ण को अबीर और गुलाल भी चढ़ाया जाता है.
क्यों मनाई जाती है (Phulera Dooj)?
फुलैरा दूज को घर में होली रखना भी कहा जाता है. क्योंकि यह वंसत पंचमी और होली के बीच मनाई जाती है. यह पर्व होली आने की खुशी में मनाई जाती है. इसी वजह से फुलैरा दूज के बाद से ही हर दिन घर को फूलों और गुलाल से सजाया जाता है. इसके साथ यह भी मान्यता है कि फुलैरा दूज को फाल्गुन मास का सबसे शुभ दिन माना जाता है. कहा जाता है इस दिन किसी भी वक्त शुभ काम किए जा सकते हैं.फुलैरा दूज(Phulera Dooj 2019 time) मनाने का शुभ समय:-
8 मार्च को फुलैरा दूज के दिन सूर्योदय 6 बजकर 46 मिनट पर होगा और सूर्यास्त का समय 6 बजकर 29 मिनट है। द्वितीय तिथि का शुभारंभ 7 मार्च की रात 11.44 मिनट पर हो जाएगा जो 9 मार्च की सुबह 1.34 मिनट तक रहेगा।प्रसाद के रूप में बनते हैं स्वादिष्ट पकवान:-
इस दिन मीठे और नमकीन में कई पकवान तैयार किये जाते हैं। सबसे पहले इनका भोग भगवान श्री कृष्ण को लगाया जाता है और फिर भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इस दिन भक्त पूरे दिन मंदिर में प्रार्थना करते हैं और कृष्ण जी के गीत गाते हैं। शाम को संध्या आरती और कुछ दूसरे धार्मिक काम पूरे किए जाते हैं।राधे-कृष्ण मंदिर:-
खास सजावट ये पर्व खासतौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है। श्री कृष्ण के मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। यहां तक की कृष्ण भगवान की मूर्तियों को सजाने के लिए भी फूलों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें सफ़ेद रंग की पोशाक पहनायी जाती है और कोने में होली के रंग के साथ वाले कपड़े का टुकड़ा उनके वस्त्र के साथ बांध दिया जाता है। उनकी मूर्ति पर होली का रंग लगाया जाता है। बहरहाल, शाम को श्यन भोग के दौरान उन पर लगे रंग को हटा दिया जाता है।श्री राधा कृष्ण प्रेम इतना सच्चा क्यों था? श्री राधा जी का मन इतना अच्छा क्यों था ?
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