सुविख्यात संत व भागवत मर्मज्ञ किरीट भाईजी(kirit bhaiji) बेहद सरल व सहज स्वभावी हैं। श्रीमद् भागवत पर तो उनके प्रवचन सीधे दिल में उतर जाते हैं। उनके कंठ में गजब की मिठास है। वे कहते हैं- मैं तो ज्यादातर सूर, मीरा, कबीर या तुलसी बाबा की ही रचनाएँ गाता हूँ। 13 नवंबर 1994 को अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण समाज और विश्व धर्म संसद ने उन्हें ब्रह्मर्षि के पद के साथ सजाया। उन्होंने वृद्धावस्था में श्रीनाथ धाम में महाप्रभुजी के नवम पीठ की स्थापना की।
प्रभु का सुमिरन भजन जीव का सदैव सही मार्गदर्शन करता है।