गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna Goswami ji) श्री स्वामी हरिदासी सम्प्रदाय के आध्यात्मिक वंश परंपरा के अंतर्गत आते है। श्री स्वामी हरिदास जी के सम्प्रदाय की 7th Generation में श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna goswami ji) का जन्म हुआ . इस सम्प्रदाय में कई पीढ़ियों से अध्यात्म का भक्ति का प्रचार किया जा रहा है। इन्होने 18 साल की उम्र में अपने वंश का प्रभार संभाला, और इनको ये ज्ञान ये जिम्मेदारी उनके पूर्वजो द्वारा विरासत में मिली। जिसे ये बहुत ही अच्छी तरीके से निभा रहे है। गौरव कृष्ण गोस्वामी जी कथा 18 साल से कर रहे है। मात्र 18 साल की आयु से ..google पे हर महीने Gaurav krishna Goswami नाम से हज़ारो से ज्यादा लोग searches करते है आये जाने इनके बारे में ….
जन्म: 6 जुलाई, 1984
जन्म स्थान : वृंदावन
जीवन उद्देश्य : अपने श्रोताओं के दिलों को “वृंदावन” बनाना(भक्ति-अध्यात्म को जागृत करना ) और भक्तिमय -प्रेममय “राधा नाम” का प्रसार करना है।
“आत्मज्ञान के लिए जागना जरूरी है”
संतो का जीवन भी निराला होता है असल में माया में से वो जीवन को ढूंढ ही लेते है और उस जीवन में उस ईश्वर को पाने का मार्ग भी ढूंढ लेते है। और हर इंसान को वो मार्ग दिखाते है जो सच में हम सभी की सच्ची मंज़िल है। हमारे देश में कितने ही पवित्र संत, गुरु, ऋषि ने अपने दैवीय आनंद, प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान के साथ दुनिया को आशीर्वाद दिया है।
इनमें श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna goswami ji) भी हैं। श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी ने श्रीमद्भागवत जी का ऐसा प्रचार प्रसार किया और एक ऐसी आध्यात्मिक लहर चलायी है जिसने न सिर्फ बड़ो को बल्कि युवा पीढ़ियों का जीवन ही बदल दिया है। उनके गहन प्रेम और भक्ति के साथ कई लोगों के दिलों के भीतर अपने बिहारी जी से मिलवाया और श्रीमद्भागवत जी के ज्ञान से सभी भक्त प्रेमियो को सच्चे सुख और शांति का अनुभव कराया है।
श्री स्वामी हरिदास जी के सम्प्रदाय की 7th Generation में श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna goswami ji) का जन्म हुआ . दिव्य श्रीमद्भागवत का अध्ययन किया है और मानवता के अनन्त लाभ के लिए इस पवित्र पाठ की महिमा का उच्चारण करते है। आये जानते है उनका अद्भुत जीवन के बारे में।
श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज का जन्म 6 जुलाई 1984 को भारत के श्री धाम वृंदावन में श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी( Mridul krishna goswami ji) और श्रीमती वंदना गोस्वामीजी के घर में हुआ था। वो परिवार जिनको श्री बांके बिहारी जी आशीवार्द मिला हुआ है उनकी सभी पीढ़िया संगीत में बहुत ही कुशल होंगी। इनका जन्म एक बहुत ही पवित्र परिवार में हुआ।
15 वीं शताब्दी में, वृंदावन की इस पवित्र भूमि में, एक दिव्य संत स्वामी श्री हरिदास जी महाराज ने अवतार लिया था। स्वामी जी महाराज के इस परिवार में, असंख्य दिव्य आत्माएं पैदा हुई हैं जो संस्कृत की भाषा और श्रीमद्भगवत पुराण की भाषा में विशेष ज्ञान रखते हैं।
उनकी विवाह में रूचि नहीं थी पर पिता जी के समझने पर वो समझ गए। उनके वंश को विरासत में बिहारी जी के नाम गान और श्रीमद्भागवत जी का प्रसार का कार्य मिला है जिसकी बागडोर हर पीढ़ी को संभालनी है और उनका भी यही कर्तव्य बनता है। श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी अब विवाहित हैं। वह प्यारी बेटी राध्या और सिया गोस्वामी के पिता हैं और उनके पुत्र नीरव मृदुल गोस्वामी हैं।
श्री गौरव कृष्णजी महाराज, जब सिर्फ 18 साल के थे . उन्होंने अपनी पहली श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। श्री गौरव कृष्णजी महाराज के कथन को सुनकर विशाल संख्या में सुनने के लिए भक्त जन इकठा हुआ और श्रीमद्भागवत के प्रेम में सातों दिन पूरी तरह से भक्तिमय होकर और आत्मिक आनंद प्राप्त किया। भक्तो को “भक्ति” का सच्चा मार्ग दिखाकर लाखों अनुयायियों के दिलों में प्रवेश किया। हर कोई राधा नाम और बिहारी जी का दीवाना बन गया।
स्वामी हरिदास की वंश परंपरा में वर्त्तमान में अभी छठी पीढ़ी पे श्रद्धेय आचार्य श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी और सातवीं पीढ़ी पे श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी है।
प्रथम पीढ़ी से-वर्तमान पीढ़ी | वंश परंपरा (स्वामी हरिदासी सम्प्रदाय) |
प्रथम पीढ़ी | श्री स्वामी हरिदास ((1535)) |
दूसरी पीढ़ी | |
तीसरी पीढ़ी | |
चौथी पीढ़ी | |
पांचवी पीढ़ी | श्री मूल बिहारी गोस्वामीजी |
छठी पीढ़ी | श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी (1962) |
सातवीं पीढ़ी | श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी (1984) |
हर संप्रदाय की पहचान है उसका तिलक ! इस तरह हरिदासी सम्प्रदाय (सखी सम्प्रदाय) का तिलक कुछ इस प्रकार होता है।
आप जब भी किसी से मिलेंगे जो उनके मुख से श्रीमद्भागवत जी को सुन कर आता है वो अपना अलग ही अनुभव बताते है। वो कहते है ऐस लगता है जैसे वो हमारे सवालो का जवाब दे रहे हो। हर कोई किसी न किसी परेशानी से गुज़रता रहता है लोग बताते है बस आप एक बार इस बिहारी जी महफ़िल में आ जाये आपकी सभी मुश्किलों का हाल हो जायेगा।
संसार सागर में जो आनंद मोती नहीं मिला
वो इस श्रीमद्भागवत रूपी महासागर में आकर मिला।
BY: Admin
सबसे लोकप्रिय “ब्रज चौसासी को यात्रा”, जो अपनी अनूठी अवधारणा और पाठ की वजह से प्रेरणादायक है, आपको ऐसा महसूस करता है कि आप वास्तव में श्री राधा रानी के गौरवशाली नाम का जिक्र करते हुए ब्रज भूमि में यात्रा कर रहे हैं। हम सभी हमेशा आभारी रहेंगे इस अद्भुत यात्रा के लिए। व्यस्तता के कारन अगर कोई भक्त वृन्दावन न जा सके तो ये अमृत वाणी में ब्रज चौरासी कोस यात्रा मन को बहुत शांति देती है और बिहारी जी के बहुत करीब ले आती है
जब श्री गौरव कृष्णजी महाराज श्रीमद्भागवत को अपने मधुर भजनो से मिलकर पढ़ते हैं, तो वह आपको शांति और प्रेम(भक्ति ) की दुनिया में ले जाता है, जहां आप जिस भी दुनिया में, आपको ऐसा लगता है जैसे आप वृंदावन में बैठे हैं (भगवान कृष्ण के जन्म स्थान)
गौरव कृष्ण गोस्वामी मुख से गाये और स्वरचित इतने सारे भाव है जिनको पूरा बता पाना मुमकिन नहीं फिर भी उनके कई लोकप्रिय भजनो में से कुछ भजन इस प्रकार से है।
श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी को आदर्श युवा आध्यात्मिक गुरु पुरुस्कार 20 jan 2018 को मिला। जो की बहुत ही बड़ी उपलब्धि है युवाओ के भविष्य के लिए किया गए कर्तव्य का सच्चा फल है। या आप ये कह सकते है जब आप सच्चे दिल से कोई काम करते है तो उसका परिणाम भी उतना ही सच्चा होता है।
संतो के बारे में जितना कहो उतना काम है क्यूंकि जो झांक लिया करते है माया के अँधेरे में खोये हुए इंसान के अंदर एक दिन वही मुस्कुरा कर दिखा देते है बैठे हुए जो बिहारी जी है हम सभी के अंदर
नीचे कुछ सवाल के जवाब दिए गए है जो के gaurav krishna goswami ji ke followers है और उनके शिष्य है उनके लिए। अगर आप कुछ और जानना चाहते है जो सवाल आपके मन में है अगर वो उचित सवाल हुआ तो हम उसका जवाब जरूर उपलब्ध करवाएंगे उसके लिए आप हमे सवाल send सकते है। contact us
यह हमारी विरासत(Hamari virasat) की छोटी सी कोशिश है जो हमारे भारतीय संतों की, महंतों की महापुरुषों की महानता को आने वाली पीढ़ियों को दिखा सके। वह पढ़ सके कि वह जिस भूमि पर रहते हैं वहां के संत महापुरुष ने कितने त्याग किए हैं उनके जीवन को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के लिए आध्यात्मिकता से जोड़ने के लिए। आध्यात्मिकता हमारे जीवन का प्राण है जिससे हमारे जीवन सही दिशा की ओर अग्रसर होता है। हमारी विरासत भारत के सभी संतो के बारे में लिस्टिंग कर रही है ,जिससे कि वर्तमान और आने वाली भावी पीढ़ियों को आसान से अपने संत महापुरुषों के बारे में जान सकें और अपना हृदय परिवर्तन कर सकें। सभी काम करते हुए ईश्वर को न भूले।
हाँ। गौरव कृष्ण गोस्वामी जी स्वामी श्री हरिदास जी महाराज के वंश से हैं जिन्होंने वृन्दावन में श्री बांके बिहारी जी को संगीत साधना से प्रकट किया था।
गौरव कृष्ण गोस्वामी जी के गुरु का नाम श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी है जो इनके पिता भी है।
18 साल से कर रहे है। मात्र 18 साल की आयु से
वृंदावन
bhagwat mission के facebook page pe or vrajras production के you tube channel pe.
इन्होने अपने पिता से श्रीमद्भागवत संस्कृत मूलपाठ और संस्कृत भाषा की अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। साथ ही ये व्याकरण में भी आचार्य है। इनको संगीत का भी ज्ञान है और साथ ही कई संगीत के उपकरणों को बजा भी लेते है (जैसे : बांसुरी ,हारमुनियम ,गिटार ,ढोलक आदि। )
ब्रजभाषा, संस्कृत , हिंदी ,इंग्लिश ,पंजाबी आदि।
श्रीमद्भागवत कथा जो की सात दिवसीय होती है
श्री राम कथा जो की नौ दिवसीय होती है
जब समय मिलता है तो भजन सांध्य भी करते है।
18 वर्ष की आयु में हरिद्वार में की थी।
कथा के लिए संपर्क करने के लिए आप भागवत मिशन के official website पे जाकर या mail id:- info@bhagwatmission.org से संपर्क कर सकते है। for any query please inbox us .
कृपया निचे दिए गये bussiness info tab में देखे .
श्रीमती वृंदा गोस्वामी जी
6 July
24 June 2012
21 December
26 september