Sankat mochan बाल समय रवि भक्षी लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

Sankat mochan बाल समय रवि भक्षी लियो तब,तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।

संकट मोचन(sankat mochan) रूप में भगवान हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में किसी न किसी प्रकार की समस्याओं और संकटों का सामना कर रहे हैं। इस रूप में, भगवान हनुमान जी को संकटों और दिक्कतों से मुक्ति देने वाला माना जाता है, जिससे भक्तों को मानसिक और भौतिक परेशानियों से राहत मिलती है। संकट मोचन’ का अर्थ होता है ‘संकटों को दूर करने वाला’। इस रूप में, भगवान हनुमान जी भक्तों के सारे संकटों और कष्टों को दूर करते हैं, और उन्हें शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं।

हनुमानाष्टक-Sankat mochan hanuman ashtak:-

बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥

अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥

रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥

बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥

रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥

काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥

॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥

संकट मोचन का महत्व

संकट मोचन रूप में भगवान हनुमान जी की पूजा विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण है जो जीवन में किसी न किसी प्रकार की समस्याओं और संकटों का सामना कर रहे हैं। इस रूप में, भगवान हनुमान जी को संकटों और दिक्कतों से मुक्ति देने वाला माना जाता है, जिससे भक्तों को मानसिक और भौतिक परेशानियों से राहत मिलती है।

पूजा विधि

  1. मंत्रों का उच्चारण: संकट मोचन की पूजा में विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। प्रमुख मंत्रों में ‘संकट मोचन हनुमानाष्टक्शरी’ और ‘हनुमान चालीसा’ शामिल हैं। इन मंत्रों के नियमित पाठ से भगवान हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है।
  2. अर्चना और पूजा: संकट मोचन की पूजा में विशेष रूप से दीपक जलाना, पुष्प अर्पित करना, और प्रसाद चढ़ाना शामिल है। इस पूजा में भगवान हनुमान जी के सामने अपने संकटों और समस्याओं का उल्लेख करना चाहिए और उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना करनी चाहिए।
  3. भजन और कीर्तन: संकट मोचन की पूजा के दौरान भजन और कीर्तन भी किया जाता है। हनुमान जी की भक्ति में लीन होकर भक्त उनके गुणों का गान करते हैं और उनसे संकटमुक्ति की कामना करते हैं।

 श्री हनुमंत लाल की पूजा आराधना में hanuman chalisa in hindi, Bajrang baan और संकटमोचन अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं।

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