आज का थॉट :- ईश्वर की कृपा
ईश्वर की कृपा:-
ईश्वर की कृपा का सर्वोच्च रूप मौन है।
अकेले मौन का अनुभव ही वास्तविक और सही ज्ञान है।
व्याख्या :-
ईश्वर की कृपा के बारे में हम सभी ने सुना है लेकिन कभी उसे सही मायने में जानने की कोशिश नहीं की। हमेशा हम अपनी सुख सुविधाओं को ईश्वर की कृपा के रूप में देखते है क्या पता ये कुछ हद तक ठीक भी हो लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्युकी जो पाकर हम ईश्वर को भूल जाये वो असल में कृपा का रूप कैसे हो सकता है।
- ईश्वर की कृपा मौन है आपका अंतर मन से शांत हो जाना क्युकी जब आप इस कृपा को पा लेते है तो आप उसकी बनाई दुनिया को मौन होकर समझ लेते है।
- कहा जाता है सारा ज्ञान और ईश्वर का सन्देश हमे अपने अंतर मन से मिलता है जो जीवन की गहराइयों को समझने के लिए जरुरी है।
- मौन का अनुभव ही वास्तविक और सही ज्ञान है ये मेरा और तेरा भाव से बहुत ऊपर है।
शांत जल में ही आप अपना स्वरुप देख सकते है जब जल विचलित हो तब नहीं। इसी तरह ईश्वर ने हमे किस स्वरुप में भेजा है जो हमारा वास्तविक स्वरुप है , उसको समझने के लिए मौन रुपी ईश्वर की कृपा बहुत जरुरी है।
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