किसने दिया था भारत को ‘सोने की चिड़िया’ का ख़िताब ?
भारत को ‘सोने की चिड़िया’(sone ki chidiya) का ख़िताब
एक समय था जब भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल हुआ करता था. जिसके चलते हर कोई हमारे देश पर शासन करने का सपना देखता था. भारत पर शासन करने के मकसद से यहां पर कई लोगों द्वारा आक्रमण और कई राजाओं द्वारा राज भी किया गया है. आखिर क्यों भारत को सोने की चिड़िया(sone ki chidiya) कहा जाता था? और किसने यह ख़िताब भारत को दिया? आइए जानते हैं –
क्या आपने कभी उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के बारे में सुना है? वही जिन्हें उनके ज्ञान, धर्म, न्याय, वीरता एवं उदारता की लिए जाना जाता था| वही विक्रमादित्य जिनकी बेताल पच्चीसी की कहानी आज भी प्रसिद्ध है| वो ही वे महान राजा थे जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया का ख़िताब दिया था| चलिए जानते हैं राजा विक्रमादित्य के बारे में:-
राजा विक्रमादित्य ने ऐसा महान क्या किया ?
विक्रमादित्य जिसका अर्थ है सूर्य के समान पराक्रमी| राजा विक्रमादित्य ने अपने नाम का मतलब सार्थक किया है| भारत के इतिहास में एक ऐसा वक़्त आ गया था जब देश में बौद्ध और जैन रह गए थे| सनातन धर्म लगभग लुप्त होने की कगार पे था| तब राजा विक्रमादित्य ने रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथो ी फिर से खोज कर स्थापित करवाया था| इन्होने कई मंदिरों का निर्माण करवाया था| उज्जैन के राज दरबार की शोभा विक्रमादित्य के नवरत्न बढ़ाते थे| नवरत्न यानि नौ विद्वान् जो अपने-अपने क्षेत्र में महाज्ञानी हैं| विक्रमार्कस्य आस्थाने नवरत्नानि विक्रमादित्य का राजकाल केवल नवरत्नों के कारण प्रतिष्ठित नहीं था बल्कि यहां के न्याय के कारण भी इसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है| कहा जाता है कि कई बार तो देवतागण भी महाराज से न्याय करवाने आते थे| राजा का कर्तव्य केवल धर्म की रक्षा करना या सही न्याय करना नहीं होता| राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा, उनकी आर्थिक स्थिति का ख्याल रखना बभी होता है और यह विक्रमादित्य भली-भांति जानते थे| उनके राज में भारत का कपड़ा विदेशी व्यापारी सोने के वजन से खरीदते थे| यह ही नहीं उस वक़्त तो भारत में सोने के सिक्कों का भी चलन था|विक्रमादित्य ने भारत को सोने की चिड़िया का ख़िताब क्यों दिया ?
- पद्मनाभस्वामी मंदिर में कितने हज़ारों टन का सोना छुपा हुआ मिला| इसके अलावा कोहिनूर, मोर सिंघासन और ताजमहल में जड़े हीरे पन्नों की वजह से हम अंदाज़ा तो लगा ही सकते कि उस वक़्त भारत के निवासी कितने अमीर होते थे|
- मुख्य कारण यह है कि विदेशी व्यापारी यहां से कई चीज़ों का व्यापर कर के जाते थे, इसके बदले वे सोना देते थे| इस वजह से यह सोना अत्यधिक मात्रा में था|
- भारत जोकि कृषि-प्रधान देश हमेशा से रहा है, इसे उस वक़्त किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी| जो भी लागत से अधिक सामान होता था वो बाहर के देशो में बेच दिया जाता था| इसके अलावा भारत में खनिज की खदानें मौजूद थीं| जिससे हथियार, सिक्के आदि बनाने में मदद मिलती थी|
मोर सिंहासन (What Is Peacock Throne):
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वो मोर सिंहासन था. इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी. कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जो धन इस पर लगाया गया था, उतने धन में दो ताज महल का निर्माण किया जा सकता था. लेकिन साल 1739 में फ़ारसी शासक नादिर शाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था. आखिर ऐसा क्या खास था इस सिंहासन के बारे में और किसका था ये सिंहासन इसके बारे में नीचे बताया गया है.- मोर सिंहासन का इतिहास (Mayur singhasan history)
भारत देश शुरू से ही हर चीज को लेकर धनी रहा है. हमारे देश में खेती के जरिए कई चीजों का उत्पाद कई वर्षों से किया जाता रहा है. वहीं भारत की जमीन पर कई मात्रा में सोने और हीरे भी पाए जाते थे. वहीं भारत की जमीन पर कई मात्रा में सोने और हीरे भी पाए जाते थे.
वहीं भारत में मौजूद इन्हीं चीजों को अंग्रेजों और दूसरे देश के राजाओं द्वारा लूट लिया गया था और जिसके कारण हमारे देश को काफी हानि हुई थी. अगर भारत में इन लोगों द्वारा शासन नहीं किया जाता, तो शायद आज हम ये कहे सकते थे की भारत एक सोने की चिड़िय़ा है.
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Digamber Naswa
ये एक पुरातन इतिहास है जिसपे गर्व तो किया जा साकता है … और करना भी चाहिए …
परन्तु अब ये ख्याल रखना होगा की दुबारा देश परतंत्र न हो जाये …
virasat-admin
अगर हमने युवा पीढ़ियों तक अपने पूर्वजो के सन्देश को सही तरीके से नहीं पहुंचाया तो अंजाम कुछ भी हो सकता है। हमारी कोशिशे जारी है माना अकेले है पर हौसलों से कमज़ोर नहीं। हमारे देश की विरासतें बहुत अनमोल है।