प्रेम

प्रेम में जितना विरह बढ़ता जाता है उतना ही प्रेमियों के मध्य स्थूल घटता जाता है और जैसे-जैसे स्थूल का वर्चस्व सिमटता है, सूक्ष्म विस्तार लेता है और गहराता है प्रेम…”

Leave your comment
Comment
Name
Email